तारकेश कुमार ओझाबाजारवाद के मौजूदा दौर में आए तो मानसिक अत्याचार अथवा उत्पीड़न यानी र्टार्चिंग या फिर थोड़े ठेठ अंदाज में कहें तो किसी का खून पीना... भी एक कला का रूप ले चुकी है। आम - अादमी के जीवन में इस कला में पारंगत कलाकार कदम - कदम पर खड़े नजर आते हैं। एक आम भारतीय की मजबूरी के तहत कस्बे से महा