1. कविता
स्वच्छ भारत समृद्ध भारत
सुंदर स्वच्छ हर गाँव शहर हो,
खुशहाली हर आँगन हर पहर हो,
सुर्खी धरा और गगन गुलाबी हो,
सांझ ढले चन्द्रमा की लाली हो,
सुंदर स्वच्छ हर गाँव शहर हो...........
बजे मंदिर में घंटी,मस्जिद में अर्जाने हो,
मिले गले सब प्यार दुआ में दूर गले सिखवे हो,
पढ़े बढ़े सब मिलकर शिक्षित हो,
चेहरों पर खिली मुस्काने हों,
सुंदर स्वच्छ हर गाँव शहर हो......
झरनों नदियो और तालो में निर्मल जल हो,
बुझे प्यास पंछी की राही का मन शीतल हो,
भूमि सिंचित,आधुनिक जैविक खेती हो,
कीटनाशक मुक्त मिट्टी का कण-कण हो,
खिले फूल उपबन वाटिका,देखरेख माली हो,
झूमे पेड, उड़े पंछी,हवा में सरसराहट हो,
सुंदर स्वच्छ हर गाँव शहर हो,
खुशहाली हर आँगन हर पहर हो||
लेख़क:- सुनील कुमार कौरव "युवा कवि"
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