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मेरी कविता

12 सितम्बर 2021

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मासूम सी हंसी उसकी जाने क्या कमाल करती है
मां के ज़ख्मों पे दवा का काम करती है
बचाए वो बद्नजर से काले टीके से काम करतीं हैं
आंचल में छुपा लेती है जब दुग्ध पान कराती है

मासूम सी हंसी उसकी जाने क्या कमाल करती है
उसकी एक हंसी के लिए दिल और जान कुर्बान करतीं हैं
कोख में रख नौ महीने पल पल दर्द वो सहती है
जीने की परवाह किए बगैर मौत से लड़ जाया करती है 
तेरी हंसी के लिए दिलो-जान लुटाया करती है
मासूम सी हंसी उसकी जाने क्या कमाल करती है 
मां के ज़ख्मों पे दवा का काम करती है

                     प्रिया ✍️✍️
Shailesh singh

Shailesh singh

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12 सितम्बर 2021

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