गज़ल , कविताएं
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<div>आकाश से परे</div><div>चल उड़ चले</div><div>चले एक </div><div>नयी दुनिया में</div><div>प्या
<div>मासूम सी हंसी उसकी जाने क्या कमाल करती है</div><div>मां के ज़ख्मों पे दवा का काम करती है</div><
<div>न जाने इंतजार कब तक</div><div>बैठा हूं राहों में कब से</div><div>आंख तरस गयी</div><div>एक नज़र
<div>हर बार ख़ुद को खुद से ही संभाला है मैंने</div><div>चोट लगाई किसी ने खुद से ही मरहम लगाया मैंने<