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मेरी शायरी

16 सितम्बर 2021

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हर बार ख़ुद को खुद से ही संभाला है मैंने
चोट लगाई किसी ने खुद से ही मरहम लगाया मैंने
फिर से किसी पर न यूं एतबार दोबारा करेंगे
अपने ही दिल के टुकड़ों से खुद को लहुलुहान किया मैंने।


बहुत हुआ अब ना करेंगे परेशां तुझे
अपने होने का ना दिलायेंगे अहसास तुझे
शायद कुछ ज्यादा ही मान लिया अपना तुझे
पछताऐगा जब छोड़ चले जायेंगे हम तुझे



  प्रिया ✍️✍️

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