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इंतजार कब तक

12 सितम्बर 2021

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न जाने इंतजार कब तक
बैठा हूं राहों में कब से
आंख तरस गयी
एक नज़र के लिए
कि वो आए
बाबा कह के बुलाए मुझे
भेजा था पढ़ने
कुछ बड़ा बनने
अब वो इतना बड़ा हो गया
शर्म आती है यहां आने में
मुझे बाबा कहने में
न जाने कितने दिन सोया नहीं
न जाने कितने दिन खाया नहीं
उसे बड़ा बनाने में
बिन चप्पल पैर रगड़ दिए
उसे जूता पहनाने में
उसे शर्म आती है यहां आने में 
न जाने ये इंतजार कब तक
आखिरी सांसों के बंधन तक
इंतजार था बरस दो बरस का 
अब बन गया आखिरी सांस तक
    

    प्रिया ✍️✍️

 
आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

बहुत बहुत सुन्दर रचना

12 सितम्बर 2021

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

बहुत सुन्दर रचना

12 सितम्बर 2021

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