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  अल्पसंख्यक ही बहुसंख्यक! बहुसंख्यक ही अल्पसंख्यक !!   1992 में केंद्र सरकार ने बिना स्टडी, आँकड़े एकत्र किये,  मापदंड व् परिभाषा निर्धारितं किये बिना ,  भारतीय लोकत्नत्र के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को

"सामाजिक नियम फिजिक्स अथवा मैथ्स की तरह स्थायी नहीं होते। इसके मूल्यों व् नियमों में समय, स्थान आदि के अनुसार निरंतर परिवर्तन होता रहता है। समयानुकूल उचित परिवर्तन ही समाज को जीवंत बनाता है।" देश का बंटव

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