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अल्पसंख्यक

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1993 में तत्कालीन केंद्र की कांग्रेसी सरकार दवरा वोट बैंक व् तुष्टिकरणकी राजनीति को ध्यान में रखते हुए , अल्पसंख्यक मापने के लिए बनाया गया पैमानावर्ष 2021 आते-आते पूरी तरह से धवस्त/ विफल होगया है।पैमाने केआधार पर वर्तमान में धर्म आधारित छह वर्ग अल्पसंख

पाकिस्तान आज केयुग में कुफ्र काफिर की मानसिकता से ग्रस्त है डॉ शोभा भारद्वाज मजहब के नाम पर पकिस्तान का निर्माण हुआ थायहाँ अल्पसंख्यको को पाकिस्तान में निरंतरनिशाना बनाया जाता रहा है .इस्लाम के सभीअनुयायी मुसलमान कहलाते हैं हैं लेकिन फिरभी वह कई पंथों में बंटे हैं अलग – अलग पन्थ के मुस्लिम भी सुर

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पाकिस्तान में लड़कियों के लिए कई कड़े नियम होते हैं। वहां रहने वाले लोगों को इन नियमों को मानना भी होता है, लेकिन कहते हैं ना कि जहां चाह वहां राह। एक ऐसा ही वाक्या पाकिस्तान में घटा है जिसके चलते वहां पर पहली बार कोई हिंदू महिला जज बनी हैं। बता दें सुमन पवन बोदानी नाम की ये महिला पहली महिला सिविल ज

"सामाजिक नियम फिजिक्स अथवा मैथ्स की तरह स्थायी नहीं होते। इसके मूल्यों व् नियमों में समय, स्थान आदि के अनुसार निरंतर परिवर्तन होता रहता है। समयानुकूल उचित परिवर्तन ही समाज को जीवंत बनाता है।" देश का बंटव

 अग्रवाल समाज का योगदान भारतीय समाज व् देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था मेंकिसी से छुपा नहीं। यह समाज भारत के हर राज्यों में बसा है। साथ ही दुनिया कीआर्थिक ताकत वाले देशों जैसे अमेरिका, इंग्लैंड आदि मेंइसकी उपस्तिथि देखी जा सकती है। शिक्षा,चिकित्सा, रोजगार, धार्मिक कार्यों आदिमें इस समाज का योगदान देखते ह

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