shabd-logo

common.aboutWriter

स्वतन्त्र लेखक एवं तार्किक विचारक

no-certificate
common.noAwardFound

common.books_of

common.kelekh

वो बच्चे

2 अगस्त 2017
0
0

घर में घुसते ही उसने देखा! कि आज फिर, माँ अगल-बगल के गरीब बच्चों के साथ खाना खा रही है। माँ को ऐसा करते देख वो बोली ," माँ तुम एक सुबह से उठकर घर की सफाई करती हो, अच्छे अच्छे पकवान बनाती हो और इन बच्चों को बुलाकर घर तो गन्दा करवाती ही हो और सारा खाना भी इन्हें ही खिला देती हो, इतनी मेहनत कर के आखिर

बहू : बेटी या बहू

19 जुलाई 2017
1
0

समाज में अक्सर सुनने और देखने को मिलता है की बेटे को बेटे की तरह, बेटी को बेटी की तरह,पिता को पिता की तरह,माता को माता की तरह , सास-ससुर को सास-ससुर की तरह और तो और दामाद को दामाद की तरह प्यार,सम्मान और आदर देते है लेकिन जब बात बहू की आती है तो बहू को बेटी की तरह प्यार करने की बात होने लगती है। जब ह

सुचित्रा और माँ

14 जुलाई 2017
0
0

सुचित्रा प्रतिदिन कालेज से लौटकर, वहाँ होने वाली परेशानियों का रोना लेकर माँ के सामने बैठ जाती थी।कभी सहेली न बनने की दिक्कत, कभी सहेलियों से होने वाले झगड़े,कभी लड़को से कहा-सुनी तो कभी अध्यापको के उसके प्रति बुरे बर्ताव की दिक्कत। माँ प्रतिदिन उसकी इन बातों को ध्यान से सुनती और सांत्वना देती की सब ठ

उनकी देशभक्ति Vs हमारी देशभक्ति

6 जुलाई 2017
4
1

इज़राइलीयों से दुनिया इसलिए खौफ खाती है,क्योंकि वो 85 लाख सिर्फ सच्चे एवं ईमानदार देशभक्त है और यही हाल जापान एवं जर्मनी जैसे राष्ट्रों का भी है। ये ऐसे मुल्क है जो खुद यहां के देशभक्त नागरिकों की वजह से आज विश्व में एक अलग विकसित राष्ट्र वाली छवि रखते है। वही अगर बात भारत के नागरिकों की करे, तो कहन

संगति का प्रभाव

25 जून 2017
1
0

एक पेड़ की दो सुखी टहनियां टूट कर नीचे गिर गई! एक टहनी फूल के पौधों के नीचे तो दूसरी कीचड़ में जा गिरी। कुछ समय बाद एक टहनी से सुगन्ध और दूसरी टहनी से दुर्गंध आने लगी।दोनों टहनियां जब मिली तो आपस में विचार करने लगी कि हम दोनों एक ही पेड़ के हिस्से है,फिर भी हमारी महक का इतना अंतर क्यों? सुगन्धित टहनी न

अपनाने की कला

17 जून 2017
1
2

एक बड़े व्यापारी की दो बेटियां थी - श्रद्धा और प्रतिष्ठा । समय बीतता गया और दोनों विवाह योग्य हुई। उनके पिता ने उनके लिए दो वरों का चयन किया- यथार्थ और काल्पनिक। एक दिन दोनों वरों को दोनों कन्याओं से मिलने के लिए बुलाया गया। दोनों लड़कियां देखने में अतिसुन्दर लेकिन स्वभाव में दोनों एकदम विपरीत जहाँ एक

ज़ोया और समाज

8 जून 2017
0
0

आज ज़ोया की ऑफिस में एक महत्वपूर्ण मीटिंग थी! लेकिन कल रात से ही उसकी तबियत कुछ ठीक नही लग रही थी। आज सुबह जब ज़ोया उठी तो उसे बहुत कमजोरी महसूस हो रही थी , फिर भी उसने दोनों बच्चों को स्कूल भेजा , पति को ऑफिस ,सास-ससुर के लिए दोपहर का खाना बनाया ,घर की सफाई की और खुद तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गई। त

पर्यावरण और हम

5 जून 2017
0
0

इतनी भीषण गर्मी, हर साल टूटता गर्मी का रिकार्ड, सालाना काटे जा रहे करोड़ो पेड़, नदियाँ सूखने की कगार पर, प्रतिदिन हजारो नई गाड़िया सड़को पर, रोज बढ़ता हुआ प्रदूषण, दूषित होती वायु ,थोड़ी दूरी के लिए भी बाइक , कार का प्रयोग, सी.ऍफ़.सी का बढ़ता प्रकोप और कार्बन उत्सर्जन में कोई कमी नही।पर्यावरण दिवस में नाम प

सफल वैवाहिक जीवन के कुछ सूत्र

20 मई 2017
1
0

वैवाहिक जीवन के बाद पति पत्नी की एक दूसरे के प्रति जिम्मेदारियां, आवश्यकताएं, जरूरते और अपेक्षाएं होती है । वैवाहिक जीवन के सुखपूर्वक चलते रहने के लिए ये सारी चीजे समय से पूरी होती रहनी चाहिए। लेकिन आज के समय में मनुष्य इतना व्यस्त है अपने कामों में ,की इन चीजों पे ध्यान नही दे पता । इसलिए पति पत्नी

कैंसर_ट्रेन : सैकड़ों मनुष्यों की जीवन रेखा

14 मई 2017
0
0

एक ऐसी ट्रेन जो उसमे बैठने वालों को अनंत काल का दर्शन कराती है।इसमें बैठने वाले अधिकतर लोग उस बिमारी से संघर्ष करते नजर आते है जिसके लिए वे खुद जिम्मेदार नही है।ये कोई साधारण बिमारी नही और न ही ये कोई साधारण ट्रेन है। इस आसाधारण बिमारी का नाम है 'कैंसर' और इस ट्रेन का नाम है 'कैंसर ट्रेन'। पंजाब के

किताब पढ़िए