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मुक्तक

22 अगस्त 2015

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नफरतों में हो गया है बावला सोचा न था । और फिर होगा तबाह ये घौंसला सोचा न था । इंसान क्यों इंसानियत से दूर होता जा रहा ? इस तरह होगा दिलौं में फासला सोचा न था । -- राहुल गुप्ता

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