वो बार बार आपने केबिन से ऑफिस की एन्ट्रेंस की ओर देख रहा था ,, तलाश रहा था किसी को या फिर शायद इन्तजार था उसे किसी का ...
प्रताप नाम था उसका ,, मैनेजर के पद पर कार्यरत था वो उस कम्पनी में ,,
और उसी कम्पनी में कार्यरत थी वो ,,,,
संगीता ,,,
सांवली किन्तु सुन्दर नैन नख्श वाली एक लड़की !
रंग सांवला होने के बावजूद भी बला सी खूबसूरत थी वो ,, ऐसा प्रतीत होता था मानो किसी निपुण और परांगत मूर्तिकार ने खुद अपने हाथों से किसी सांवले संगमरमर को तराश कर सौन्दर्य से भी सुन्दर इस जीवित मूर्ति का निर्माण किया हो ।
वो सिर झुकाकर ऑफिस में आती ,,, अपनी कानों में मिश्री घोलती आवाज में सबका अभिवादन कर
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