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यात्रा वृतांत: एक बारात की मजेदार यात्रा

5 मई 2016

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यात्रा वृतांत: एक बारात की मजेदार यात्रा - Ignored Post | Top Interesting Post


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जब लगन चरम पर हो और ठाला भी चरम पर हो तो पुरे सीजन में एक बारात भी करने को मिल जाए तो नरक कट जाता है और ये मलाल भी नहीं रहता की, इस सीजन में एक बारात तक नहीं मिली | 
कल बिल्कुल यही परिस्थिति थी | कल इस जानलेवा ठाले के दौरान एक बारात में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | 'सौभाग्य' ऐसा मैं तब तक सोच रहा था जब तक की बारात नहीं निकली | निम्न और मध्यम वर्गीय श्रेणी के बीच का परिवार था | पड़ोस के गाँव से बारात जानी थी, पर बारात कहाँ जानी थी ये कोई साफ़ साफ़ नहीं बता पा रहा था, लड़के का बाप तक नहीं | 
कोई नन्दगंज बताता, कोई सदियाबाद, कोई इहवां कोई डीहवां | ख़ैर हमने लड़के(दूल्हे) से पूछा तो वह भी गाँव का नाम ही बता सका, कितनी दूर है उसे भी ठीक नहीं पता था | 
और लगभग 6 बजे , रहरी जुट्टा से दाहिने परधनवा के रहर में घुसके बजड़ा काटकर बकइयाँ लेते हुए बारात निकल पड़ी | मैं और मेरे मेरे मित्र, हम दो लोग दो पहिया से निकले | डीजे मेरे मित्र का ही था तो हम डीजे गाड़ी के साथ चलते रहे | गाजीपुर RKBK डीज़ल पेट्रोल लेने के बाद सब अपनी रफ़्तार से निकल पड़े | continue

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