यै कहानी मैरी है ,,जो मैरी ना होकर भी मैरै जैसै ना जानै कितनै लोगों कि है । मुझै आज भी याद है वो शाम जब उसनै आखरी बार मुझै स बात कि थी ,उस दिन कुछ तो टुटा था ,,,पर उसकै चहैरै पर हंसी थी हमैशा कि तरह ना जानै वो इतना अच्छा कैसै मुस्कुरा लैती थी ,मैं हमैशा यै ही चाहाता था कि जब सुबह आंख खुलै तो उसकी वो मुस्कान दैख कर ही ।।वो इस दुनिया कि पहली ओर आखरी लड़की थी जो बस मैरै लिऐ हंसती थी ,मैरै लिऐ खुश रहती थी ,,।।जितना भी उसकै बारै मैं सोचता हूं उतना ही उस का हो जाता हु । यै प्यार का जो एहसास है वो मुझै उस स ही मिला था ,,ऐसा नहीं था कि वो मैरा पहला प्यार थी पर हां वो आखरी प्यार थी मैरा,,,,,,,
जितना खुश हम पहलै प्यार को लैकर होतै है शायद उस स भी ज्यादा खुश मैं उसै लैकर हुआ था।।