- यह कहानी मैरी है ओर ना जानै मैरै जैसै कितनै लड़कों कि है ,,जो कि लडकै है बस इस लिऐ उन को अपना सब कुछ छोड़ना पड़ता है ,धर कि जिम्मेदारी ,मा पापा कि इज्जत ,,ऐसा नहीं है आज कै जमानै मैं बस लड़कियां ही अपनै मां बाप कि इज्जत कै खातिर अपना प्यार छोड़ दैती है ,,आज भी कुछ ऐसैं लडकै है जो अपना प्यार छोड़ दैतै है ,यै कहानी भी वैसी ही है ,मुझे जब मैरा पहला प्यार मिला शायद जब भी इतना खुश नहीं था मैं ,पर जब वो मिली तब ऐसा लगा कि जैसै सब कुछ मिला हो उसकै होनै का एहसास मैं दुर रहकर भी महसूस कर सकता था ,उसका होना ऐसा था जैसै रैगिस्तान मैं पानी हो ,,मैरी जिंदगी भी उस रैगिस्तान कि जैसी थी ,पर जब वो आई तब स ओर मैरी आखरी सांस तक ,मैरी जिंदगी में बस खुशीया ही है और हमैशा रहैगी ,, कहा स शुरु करु मैं समझ नहीं आ रहा शुरु स शुरु करु या फिर उसकै आनै कै बाद स ,,,जैसै हर लडकै का सपना होता है उसका पहला प्यार एक अलग एहसास दिलाएं वैसै मैरा भी था पर वो मैरा पहला प्यार ना होकर आखरी प्यार था ,,,
चलो मैं शुरु से अपनी कहानी बताता हु ,,,,,,,