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यै कहानी मैरी है ,,जो मैरी ना होकर भी मैरै जैसै ना जानै कितनै लोगों कि है । मुझै आज भी याद है वो शाम जब उसनै आखरी बार मुझै स बात कि थी ,उस दिन कुछ तो टुटा था ,,,पर उसकै चहैरै पर हंसी थी हमैशा कि तरह न
यह कहानी मैरी है ओर ना जानै मैरै जैसै कितनै लड़कों कि है ,,जो कि लडकै है बस इस लिऐ उन को अपना सब कुछ छोड़ना पड़ता है ,धर कि जिम्मेदारी ,मा पापा कि इज्जत ,,ऐसा नहीं है आज कै जमानै मैं बस लड़कियां ही अप