पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नागचंद्रेश्वर मंदिर में राजा तक्षक ने भगवान शिव को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी। भगवान शिव ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था। भगवान शिव के वरदान देने के बाद राजा तक्षक ने
भोलेनाथ के साथ रहना शुरू कर दिया। किंतु महाकाल चाहते थे कि उनकी शांति भंग ना हो। यही कारण है कि भगवान शिव नाग पंचमी के दिन इस मंदिर में दर्शन देते हैं। नागपंचमी के अलावा पूरे साल उनके मंदिर के कपाट बंद रहते है
इस मंदिर में विराजित प्रतिमा में दशमुखी सर्प नागराज पर भगवान शिव, गणेश जी और पार्वती के साथ विराजित हैं। इस प्रतिमा में सांप के नीचे शिव और पार्वती समेत उनका पूरा परिवार एक साथ बैठा हुआ है। नागचंद्रेश्वर
के इस मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा भी है, नागचंद्रेश्वर की इस अद्भुत प्रतिमा में फन
फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।