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नहले पे दहला

2 अक्टूबर 2021

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 आज सुबह की ही बात है,जब हफ्ता भर बाद मेरे मोबाईल फोन की घंटी बजी थी, मैं उसकी ओर ऐसे लपका, जैसे प्यासा कुँए की ओर लपकता है । पिछला हफ्ता फोन पर बतियाने के लिहाज से नीरस रहा था ।
वाटसएप का जमाना क्या आया, लोगों का मुख ही टेढ़ा हो चुका है । इन दिनों पब्लिक के पास मैसेज टाईप करने का वक्त तो भरपूर होता है,पर बातचीत के लिए बिल्कुल भी नहीं । यदि ऐसा ही रहा तब फोन पर ‘घंटों बतियाना’ यह इतिहास में अनोखी घटना के रुप में दर्ज होगी  ।  
 मैने देखा स्क्रीन पर फ्लैश हो रहा नंबर मेरे लिए नया था, बिल्कुल अनचीन्हा था ! मैने कुल चार क्षण को सोचा, फिर काल रिसीव किया  ! 
मैं अभी ठीक ‘हैलो’ भी न कह पाया था कि मुझे किसी लड़की की मधुर, सुरीली और दिलकश आवाज सुनाई दी  :--’ हैलो सर ! गुड मार्निंग ! 

गुड मार्निंग मोहतरमा ! मैंने जवाब दिया । 
आखिर तहजीब भी कोई चीज होती है । अभिवादन का उचित जवाब देना सज्जनता की निशानी होती है  
सारी सर ! आपने ये मोह. मोह..मोहत करके क्या कहा था । प्लीज सर ! मै समझ नहीं पाई,  रिपीट, अगेन सर प्लीज़ !! --उसने ऐसे बेताबी से कहा कि अपना दिल बाग बाग हो गया । 
आप को बता दूँ कि बस दिल ही बाग बाग हुआ । दिमाग नहीं । वह तो और भी चौकस-चौकन्ना हो गया । ना नाम ना,पता, ना जरुरत और ना ही रिश्तेदारी ।  एकाएक पसरने लगना । ऐसे में चौकन्ना होना तो बनता ही है ।
ओह ! सारी वारी तो मुझे कहना चाहिए मिस – मैंने कहा – आप मिस ही हैं ना ?
अच्छा ! आपको कैसे पता चला कि, मैं कोई मिस हूँ, कोई मिसेज़ नहीं ?
आपकी दिलकश, होश उड़ा देने वाली आवाज ने बताया था मोहतरमा..
फिर मोह.. मोहतरमा ! यह मोहतरमा क्या है ? 
बस जुबान का फर्क है जी ! यह मिस के जैसा ही है । बस उर्दू फारसी का वर्ड है । 
अच्छा ! आप उर्दू बोलते हैं वेरी गुड ! मेरी नानी भी बोलती थी । आई लाईक उर्दू !- उसने कहा ।
अच्छा बोलती थी का क्या मतलब ? अब दूसरी जुबान बोलती हैं ? – मैने सवाल किया
अब वो कोई भी जुबान नहीं बोल सकती !  सर ! वो ऊपर जा चुकी है ! मेरी नानी , यही कोई महीना पहले…-।
 एकाएक उसका गला भर आया और वह बगैर किसी चेतावनी के सुबकने लगी । 
मैं खामोश रहा ! हे भगवान !यह कौन सी बला है । यह लड़की या तो बड़ी भावुक है । जिसे अपनी नानी की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं हो रहा है,या फिर यह कोई फसादी लड़की है,जो न जाने किस फिराक में है ।
 मैंने उसे जी भर के सुबक लेने दिया । चुप कराता तो  और भी जोरों से सुबकती । 
सारी सर ! – आखिरकार वह अपने आप चुप हुई  फिर बोली—मैं आपको नाहक रुला दी । सारी !! 
नहीं, नहीं मिस ! इसमें सारी बोलने की कोई जरुरत नहीं है । इसी बहाने मुझे भी अपनी नानी की याद आ गई । 
ओह ! रियली ! वैसे क्या खासियत थी आपकी नानी में ? 
बहुत सारी खासियतें थी मेरी नानी में । वे बहुत जायकेदार कचौरियां, खाजा,गुझिया तथा मालपुये बनाती थी !
ओह ! आप भी नानी को याद करके रोते हैं – उसने बड़ी अदा से पूछा । 
मजे की बात यह कि उसने अभी तक न तो अपना परिचय दिया था, और न ही फोन करने का कोई मकसद बताया था । उसने मुझसे मेरा परिचय भी नहीं पूछा था । यहाँ तक भी बात पहुँचेगी ! मैने अपने आपको तसल्ली दिया । पठ्ठी अभी मुझे मुर्गा समझ कर दाना चुगा रही है,  
नहीं ! मोहतरमा ! मर्द हूँ ना ! और मर्दों को रोना-धोना शोभा नहीं देता । इसलिए सिर्फ नानी को याद करता हूँ और थोड़ा दुखी हो जाता हूँ ।
ओह यस ! यस ! हे भगवान ! मैं तो भूल ही गई कि मोबाईल पर आपसे बातें कर रही हूँ, और रोने लगी ! आपको बुरा तो नहीं लगा ? 
नहीं लगा, बल्कि यह जानकर खुशी हुई कि आप एक नेक लड़की हैं और अपनी नानी को इतना ज्यादा याद करती हैं । 
ओह ! थैंक्यू सर ! 
अब  मिस ! बराये मेहरबानी बताईये मैं आपकी क्या खिदमत कर सकता हूँ ?   
सारी सर ! मुझे पहले ही बता देना चाहिए था ! वैसे आप करते क्या हैं सर ?
मैं बहुत कुछ करता हूँ मिस !! जैसे कपड़े प्रेस कर लेता हूँ, गाड़ी अच्छे से धो लेता हूँ,  आलू मटर की सब्जी बढ़िया से पका लेता हूँ, गाने-वाने भी गा लेता हूँ, ढोलक……।

नो ! नो ! नो ! सर ! मेरा यह मतलब नहीं था, मैं काम पूछी काम ! मतलब रोजगार !! वो हंसती हुई बोली ।
काम काज और रोजगार का ही तो रोना है मिस !-- मैंने  कहा --  फिलहाल बेरोजगार जैसी स्थिति है मिस ! बीबी नौकरी करती है, प्राईवेट स्कूल में टीचर है, बस उसी की आमदनी से किसी तरह दाल रोटी चल रही है ।
ओह ! दैटस् टू बैड ! सर आपकी स्थिति सुधर सकती है, मेरा मतलब है आर्थिक स्थिति !!- अज्ञात हसीना ने मुझे आश्वासन दिया  । 
अच्छा ! वो कैसे ? 
ओह ! सारी सर ! मैंने अभी तक आपको अपना इंट्रोडक्शन दिया ही नहीं है ! सारी !!
कोई बात नहीं मोहतरमा ! अब दे दीजिए अपना वो इंट्रोड्यूस !! मैने जवाब दिया !!
वह हंसी ..नो सर !  इंट्रोड्यूस नहीं सर इंट्रोडक्शन 
हाँ वही !! 
सर !! मैं हूँ लवली  ! लवली शर्मा ! परमार्थ भूत-भविष्य संस्थान कटरा,  प्रयागराज यू.पी. से ! सर ! हमारे संस्थान में ग्रहबाधाओं की शांति पूरी प्रामाणिकता के साथ किया जाता है । इससे व्यापार रोजगार तथा नौकरी में आ रही रुकावटें दूर होती हैं संतान की शिक्षा, संतान का न होना, गृहक्लेश, मुकदमे बाजी, भूत प्रेत बाधा, आदि दूर होती है । सर हमारी संस्थान यजमान से दक्षिणा स्वरुप बहुत थोड़ी सी सहयोग राशि लेती है । 
बहुत बढ़िया मिस ! भगवान आपका भला करे ! आपको मनपसंद दूल्हा दे ! आपने मेरी मुराद पूरी कर दी ! --मैंने  कहा ! 
लवली हंसते हंसते शायद लोटपोट हो गयी ।
अच्छा वो कैसे ? अब उसकी आवाज में आश्चर्य का भाव था । 
वह ऐसे मिस लवली ! यहाँ हमारे छत्तीसगढ़ में, भूत भविष्य तथा वर्तमान के जानकारों की कोई इज्ज़त नहीं है । यहाँ लोग आज भी, इस  मँहगाई के भीषण दौर में भी भविष्य वक्त्ताओं को बतौर दक्षिणा इक्कीस रुपये से ज्यादा नहीं देते ।
इतना कम  ! इतने से क्या होगा ? 
वही तो ! इसीलिए तो मैं बेरोजगार हूँ ! मैंने कहा ! 
क्या मतलब ? 
यही  कि, यदि आपके संस्थान में ज्योतिषियों की कोई वैकेंसी हो तो बताईये । मैं वादा करता हूँ मिस कि मैं आपके संस्थान को निराश नहीं करुंगा । मैं ‘’ज्योतिष विज्ञान’’ में स्नातक (बी.ए.) हूँ ! मैं नौकरी ढूँढ-ढूँढकर थक चुका हूँ ! आप कम सैलरी  देंगी तो भी चलेगा ! क्योंकि आपके यहाँ काम करने में मेरा डबल फायदा होगा  ! नौकरी की नौकरी और रोजाना गंगा स्नान । आपकी बड़ी मेहर….।… 
 मैं देर तक बोलता और सवाल पर सवाल करता रहा फिर भी उसने कोई जवाब नहीं दिया । तब मैंने स्क्रीन को देखा ।
 फोन कब का डिसकनेक्ट हो चुका था ।
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© आर.के.श्रीवास्तव
रतनपुर (छ.ग.)
 

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