सुकून
खुद से भी मिल न सको, इतने पास मत होनाइश्क़ तो करना, मगर देवदास मत होनादेखना, चाहना, फिर माँगना, या खो देनाये सारे खेल हैं, इनमें उदास मत होनाजो भी तुम चाहो, फ़क़त चाहने से मिल जाएख़ास तो होना, पर इतने भी ख़ास मत होनाकिसी से मिल के नमक आदतों में घुल जाएवस्ल को दौड़ती दरिया की प्यास मत होनामेरा वजूद फ