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वक़्त की मार

9 अक्टूबर 2015

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दूर से देखा तो बडे ही सुहाने मन्जर थे !
पास पहुचे तो सारे खेत ब॑जर थे !!

हम उनके पास से भी प्यासे लॊटे !
जिनकी आ॑खो मे, प्यार के समन्दर थे !!

मासूम चेहरो मे जब भी झा॑क कर देखा !
कितने ही शैतान उनके अन्दर थे !!

खुशी-खुशी उनके पहलू मे जा बैठे !
जिनके हाथो मे खूनी ख॑जर थे !!

वक्त की मार से बच सका है कॊन !
मिल गये धूल मे, कल तक जो सिकन्दर थे !!

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नवीन कुमार यादव

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धन्यवाद मित्रो

9 अक्टूबर 2015

ओम प्रकाश शर्मा

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जीवन की सच्चाई दर्शाती उम्दा ग़ज़ल ! बहुत खूब !

9 अक्टूबर 2015

अर्चना गंगवार

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मासूम चेहरो मे जब भी झा॑क कर देखा ! कितने ही शैतान उनके अन्दर थे !!।.........sahi फ़रमाया रोज़ ज़िन्दगी इन लोगो से परिचय करा देती है

9 अक्टूबर 2015

वर्तिका

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वाह! बहुत खूब रचना नवीन जी!

9 अक्टूबर 2015

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9 अक्टूबर 2015
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वक़्त की मार

9 अक्टूबर 2015
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दूर से देखा तो बडे ही सुहाने मन्जर थे !पास पहुचे तो सारे खेत ब॑जर थे !!हम उनके पास से भी प्यासे लॊटे !जिनकी आ॑खो मे, प्यार के समन्दर थे !!मासूम चेहरो मे जब भी झा॑क कर देखा !कितने ही शैतान उनके अन्दर थे !!खुशी-खुशी उनके पहलू मे जा बैठे !जिनके हाथो मे खूनी ख॑जर थे !!वक्त की मार से बच सका है कॊन !मिल ग

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दिल कैसे टूट जाते है

9 अक्टूबर 2015
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हवा जब तेज़ चलती है तो पत्ते टूट जाते हैंमुसीबत के दिनों में अच्छे-अच्छे टूट जाते हैंबहुत मजबूर हैं हम झूठ तो बोला नहीं जाताअगर सच बोलते हैं हम तो रिश्ते टूट जाते हैंबहुत मुश्किल सही फिर भी मिज़ाज अपना बदल लो तुमलचक जिनमें नहीं होती तने वे टूट जाते हैंभले ही देर से आए मगर वो वक़्त आता हैहक़ीक़त खुल

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जोक्स

9 अक्टूबर 2015
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एक लड़के की माँ को पता चल गया की उसका बेटा बार डांस में गया था...माँ ने पहले तो लड़के को खूब डांटा और फिर बोली - अच्छा ये बताओ.....तुमने वहां पर कोई ऐसी चीज तो नहीं देखी जोतुम्हे नहीं देखनी चाहिए थी "लड़का - " हाँ देखी,वहाँ😄 पिताजी भी बैठे हुए थे "

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फिर वही कहानी दोहराई गयी

12 अक्टूबर 2015
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आज फिर दिल  उदाश है, फिर वही कहानी दोहराई गयी/नाकामियो  के साथ  है,फिर उमीदे दफनाई गयी /सोच रहा  हु क्या कारु  अब ,अपने जिंदगी के  साथ /अब तो हर साल ,मेरे भरोसे का मजाक उड़ाई गयी/इस बार भी नाकाम हो गया ,सपनो के एग्जाम में /फिर से मेरे सपनो को बिखराई गयी /बार -बार यैसा जख्म दे रहा है मेरा किस्मत मुझे

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