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एक नयी सुबह लानी है

11 अगस्त 2016

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यह कविता मेरी पुस्तक "मन के मोती- कविता सागर" से ली गयी है


   एक नयी सुबह लानी है

प्रभु मुझे ऐसी शक्ति दो मुझे एक नयी क्रांति लानी है

अपने लेख से मुझे हर दिल में एक नयी  चेतना जगानी है

देश के बिगड़े हालात  मुझ से अब और देखे  जाते नहीं   

जल्द से जल्द समाज में मुझे एक नयी सुबह लानी है

 

जहाँ अबला पर अत्याचार ना हो ऐसी समाज  बनानी है

हर औरत को सम्मान मिले ऐसी स्थिति उत्पन करनी है   

बलात्कार की वारदातें अब और मुझ से सही जाती नहीं

जल्द से जल्द समाज में मुझे एक नयी सुबह लानी है

 

दुराचार छोड़ पुरषों को सदाचार की राह दिखानी है

हर पुरुष के मन में इंसानियत की ज्योति जलानी है

हैवान  बनते  पुरुष अब और मुझ से देखे जाते नहीं

जल्द से जल्द समाज में मुझे एक नयी सुबह लानी है

 

बच्चों में अपनी सांस्कृतिक धरोहर के प्रति चाह जगनी है

कुछ भी करके चरित्र हनन से बच्चों की ज़िंदगी बचानी है 

दिन-ब-दिन बच्चों के बढ़ते अपराध मुझ से देखे जाते नहीं

जल्द से जल्द समाज में मुझे एक नयी सुबह लानी है

 

भ्रष्ट नेताओं के ज़मीर को भी जगनी की   मैने ठानी  है    ते

उन  में देश के लिए कुछ करने गुज़रने  की उमंग जगनी है

हर दिन बढ़ता  भ्रष्टाचार अब और मुझ से देखा जाता नहीं

जल्द से जल्द समाज में मुझे एक नयी सुबह लानी है

 

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