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अनेकता मे एकता ये हमारा हिन्दुस्तान है, तीन र॔ग का तिरंगा हमारी पहचान है। ये जान है शान है वतन के वास्ते, वतन महफूज रहे, चल देते हैं शहादतों के रास्ते।। ये तिरंगा ऊंचा हवा में लहराता रहे, सभी दे
जब दवा काम ना करे तो दुआ काम करती है,रब के आगे हमारी क्या हस्ती है।प्रार्थनारत होना है काम हमारा, अपना यत्न जारी रखो दुबारा तिबारा।।रब हम सबको अच्छी तरह जानते हैं,पूरी गहराई से एक एक को पहच
कोई जरूरतमंद आपके पास आए,आपको अपनी जरूरत बताए । बनना मददगार हाथ उसकी ओर बढ़ाना,उसकी समस्या को दिल से सुलझाना ।।मदद से समस्या का हल करो,मददगार की भावना से आगे बढ़ो ।कभी भी जरूरतमंद का ना उड़ाना मज
आओ आजादी का अमृत महोत्सव मनाएँ, घर-घर प्यारा तिरंगा लहराएं।तिरंगा हमारी शान है,तिरंगा हमारी जान है।।तिरंगा सुना रहा आजादी की कहानी, आजादी की खातिर शूूरवीरों ने दी कुर्बानी ।तिरंगा शान से ऊंच
बदलाव लाइए अवश्य लाइए, बदलाव की आड़ में बड़ो को मत भूल जाइये। आ गया पहनावे में बदलाव, सामने है खान-पान में बदलाव।।बदलाव आया पढ़ाई में,बदलाव आया है कमाई में ।जाना कहाँ था, कहीं ओर चल पड़
वक्त दे साथ तो एक बड़ी बात है, वक्त अंग संग चले तो एक सौगात है।अगर वक्त आगे पीछे हो जाए, हमारा हर यत्न फिर काम ना आए।।हमारा हर यत्न धरा ही रह जाएगा, बिन वक्त के कैसे सफल हो पाएगा।
हमारे मन के जो विचार हैं,वही जीवन की प्रगति का आधार हैं।अच्छे विचारों का संग,जीवन में भर दें सुंंदर रंग।।विचारों में आ जाए बुराई, सब हाथ से निकल जाए भाई। बुरे विचारों से हो मन बिमार, बी
मैं भी तिरंगा फहराऊं, तुम भी फहराना,आजादी के लिए जो हुए कुर्बान, उन्हें भूल ना जाना। आजादी का इतिहास कैसे भूल पाएंगे, भूलेंगे इसे तो फिर बिखर जाएंगे।। तिरंगे तू लहराना शान से,तिरंगे तू
तीन रंग का तिरंगा झूले ऊंचे आसमान, ये तिंरगा हमारी सबसे ऊंची शान। 15 अगस्त 1947 का ऐतिहासिक दिन आया,आजाद भारत में पहली बार तिरंगा लहराया ।।75 वर्ष का आजादी का इतिहास शानदार, कहां
मैं तिरंगा ले आया हूँ, तुम भी तिरंगा ले आना । मैं भी तिरंगा फहराऊंगा, तुम भी तिरंगा फहराना ।।लहराते तिरंगे की छटा न्यारी,इसी संग ऊंची शान हमारी । तिरंगा फहराएंगे मान से, तिरंग
जय हिंद का सुन रहा हूँ उद्घोष,ह्रदय में भर जाता है जोश ।तिरंगे को मन में बसाता हूँ, जय हिंद का नारा लगाता हूँ।।इसको जब देखूं लहराता, दिल मेरा खुशी से भर जाता।सम्मान में शीश झुकाता हूँ,
आसमान में ऊंचे से ऊंचा उड़ना,पर जमीन से नाता जोड़े रखना ।ये संकल्प तुम्हे निपुण बनाएगा, सफलता की ओर लेकर जाएगा।सफलता के लिए एकाग्रता चाहिए, अपनी एकाग्रता को समृद्ध बनाइए। सफलता का मंत्र
तिरंगा हवा में सुंदर लहराए, मेरे दिल को खूब लुभाए। तिरंगे का लहराना ही शान है,इसके संग जुड़ना बड़ा सम्मान है।।हर घर लहराएं तिरंगा,घर घर फहराएं तिरंगा।आजादी का अमृत महोत्सव मनाएंगे,तीन रंगों
ये तिरंगा लहराए,गीत खुशी के ये गाए।आजादी का अमृत महोत्सव आ रहा,हमें कर्तव्या याद करा रहा।।तिरंगा लहराना शान से,तिरंगा फहराना मान से।शहीदों की भी बात करेंगे,दिल से उन्हें सलाम करेंगे।।हम सबकी पहचान तिं
1857 की ललकार,हिल गई थी गोरों की सरकार।लक्ष्य था देश को आजाद करवाना,आजाद भारत का झण्डा लहराना।।आग आजादी की सुलगती गई, बात हर दम आगे बढ़ती ही गई। लक्ष्मीबाई भगत राजगुरु सुखदेव की कुर्बानियां,
आया राखी का त्योहारहर तरफ रंग बिरंगे धागों की बौछारभाई बहन का अटूट प्यारकितना सुंदर ये त्योहारसज धज बहनें चलीं भाइयों के घरभाई हैं रक्षक तो बहनें निडरहर तरफ छाई मौज बहारआया राखी का त्योहारये धागे रिश्
लहर लहर लहराए तिरंगा, मेरे दिल को खूब भाए तिरंगा।नीला आसमान ये सजाए,मेरा दिल गीत वतन के गाए।।विश्व गुरू फिर भारत बनेगा,हर जन तरक्की की बात करेगा। सब जन तिरंगा लहराना, मस्त हवा संग झूम क
स्वंय पर तू विश्वास कर,शुभ कर्मों का प्रयास कर।भगवान सब देख रहा है,ध्यान से सुनो वो कुछ कह रहा है।।शुभ कर्म करते जाना, पर कभी एहसास मत कराना। शुभ कर्म शुभता लाएंगे,सभी के जीवन को सुखद बनाएंग
यक्ष प्रश्न है आन खड़ा,सेहत बड़ी या पैसा बड़ा।सबने दिया अपना अपना विचार, जीत गया पैसा सेहत गई हार।।सेहत को अहमियत ना देना,पैसों को ही बड़ा मान लेना।पैसों का जीतना एक गलत जीत है,सही मायनों में सेह
कभी मन में आ जाए अभिमान, एक चक्कर काट आना श्मशान। मृत्यु, एक अटल सच्चाई, देख लो संग क्या जाना है भाई ।।अभिमान करना बहुत मंहगा पड़ेगा,किस किस संग झगड़ा करेगा।अभिमान आते ही सोच गुम हो जाए
कृष्णा एक बार फिर आ,अपनी बाँसुरी से प्रेम धुन बजा। निश्चल प्रेम जिसे हम भूल चुके हैं,सब मैं के स्वार्थ में ही फंसे है।।जन्म से ही कौतुक दिखाना,सबसे अपनी पहचान छिपाना।क्या पूतना क्या कंस, सबको सबक
कृष्ण की बात हो याद आएगा सुदामा,एक राजा तो गरीबी में जूझता सुदामा। द्वारका पहुंच कृष्ण से मिलना चाहा,पर द्वारपाल ने हाथ ना पकड़ाया।बार बार मित्रता की दुहाई सुन द्वारपाल माने,राजा कृष्ण को चले संद
मैं मेरा कुछ देर चले,तुम तुम्हारा दो कदम ज्यादा चले।हम हमारे के बारे में सोचने की जरूरत है,जो सदा चला है और सदैव चले।।मैं को छोड़ने में ही भलाई है, हम को अपनाने में ही अच्छाई है। स्वार्थ से
धीरे धीरे चल रे मना,बेशक बहुत सुंदर है ये जहां। पर, मोह माया से भरा हुआ है,हर प्राणी को ठगा हुआ है।।मोह माया बैठी हाथ पसारे,बच लो मेरे भाई इससे सारे।जो भी इसके चक्कर में आया,भवसागर को पार न
भगवान ने सुदंर सृष्टि रचाई, कल्पना अपनी खूब सजाई। इंसान आया प्रेम लाया,धन दौलत संग व्यापार छाया।।मिलजुल कर अच्छा दौर चला,सबने चाहा सबका भला।फिर बदला वक्त पैसे संग प्रेम हुआ,इंंसान ने रिश्तों