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इंतेज़ार~

26 अगस्त 2022

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रचनाएँ
ऋतेश आर्यन की डायरी
5.0
इस किताब में कुछ अनुभव हैं, कुछ अनुभूतियां हैं, कुछ विमर्श है, गंभीरता है, सूचनाएं भी हैं, प्रकृति है , प्रेरणा है , इतिहास है तो राजनीति भी, समाज है तो जागृति भी । सिनेमा ,संस्मरण, खेल ,धारवाहिक, साहित्य ,संस्कृति और वो सब कुछ जो एक मंच पर एक साथ रखने की सबसे बेहतरीन कोशिश मेरे द्वारा की जा सकती थी । इस विहंगम यात्रा में आपका स्वागत है ।
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पिक्चर अभी बाकी है~

23 अगस्त 2022
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याद हो आती है वो पहली फ़िल्म जिसे देखने के दौरान मानो शरीर की सुध बुध तक खो गयी थी । कथानक की बढ़ती गति में नायिका राधा का नई नवेली दुल्हन के रूप में अवतरण और घर की जिम्मेवारियों को निभाते ह

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हेट स्पीच ।

24 अगस्त 2022
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आज रामलीला मैदान में खचाखच भीड़ थी, मंच क्षेत्र के नामी गिरामी उदीयमान लोगो से बोझिल हुआ जा रहा था । आज़ादी के अमृत महोत्सव पर सभी महानुभाव अपने विचार रख रहे थे । मंच राष्ट्रवादी और देशभक्ति के विचारों

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वो सातवीं सीढ़ी~

24 अगस्त 2022
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सुनो, याद तो होगी तुम्हे वो सातवीं सीढ़ी जहां तक का सफर हमने साथ मिलकर तय किया था ।वो सातवीं सीढ़ी, जहां बैठे बैठे कितनी सांझें हमने मिलके रातों में बदली थी ।वो सातवी सीढ़ी , जहा झींसे वाली बारिशें कुछ अ

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आयुर्वेद बनाम एलियोपैथी~

24 अगस्त 2022
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आयुर्वेद बनाम एलोपेथी की बहस एक अतार्किक बहस है । जिसमें किसी एक चिकित्सा विधा को स्थापित कर दूसरे को सिरे से खारिज कर देना आपको संकीर्णता और पूर्वाग्रह से ग्रस्त मार्ग पर ही लेकर जायेगा । ......

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ये सोशल डिस्टेंसिंग~

24 अगस्त 2022
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अथ दूरी महात्म्य~ दूरी मजबूरी है लेकिन बेहद जरूरी है । मनुष्य को सामाजिक प्राणी बताने वाले अरस्तू को कोरोना की अति सामाजिकता का भान रहा होता तो जरूर उसने सोशल डिस्टेनसिंग की किसी थ्योरी को ऐड ऑन किया

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केसरी की कथा~

24 अगस्त 2022
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होली के दिन की थकान को उतारने के बनिस्बत दूसरे दिन फ़िल्म देखने का जो कार्यक्रम बना तो अपनी टोली में किसी की भी जबान पर केसरी के सिवा कोई और नाम नही था । बहरहाल व्यक्तिगत तौर पर मैंने फ़िल्म में जो खोजा

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क्यों फ्लॉप हो रहा बॉलीवुड !!

24 अगस्त 2022
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क्यों असफल हुई और होती रही हैं हाई रेटेड, बहुचर्चित शमशेरा जैसी उम्दा कहानी और मुस्तैदी से बनाई गई फ़िल्म , इस बात को जानना महज़ सिनेमाई प्रेमियों के लिए ही जरूरी नही है बल्कि हर उस इंसान के लिए भी जरूर

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पचहत्तर की उम्र में भारत~

26 अगस्त 2022
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पचहत्तर बरस की उमर स्वयं में एक उपलब्धि है । एक ऐसा पड़ाव जहां से वापस मुड़कर देखना और इस यात्रा का सिंह अवलोकन करना कितना रोमांचक हो सकता है ये इस देश के लोगो से बेहतर कोई नही समझ सकता । एक ऐसा देश और

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इंतेज़ार~

26 अगस्त 2022
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इंतेज़ार एक ऐसा लफ्ज़ जिसमें समूचा जीवन अंगड़ाई ले सकता है । कायनात की हर शय मानो किसी के इंतेज़ार में ही है । बच्चा जवान होने के इंतेज़ार में तो कोई फिर से बच्चा होने की चाह रखता है ●● ●●भंवरे को

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लकीरें भी बोलती हैं~

4 अक्टूबर 2022
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हाथ की रेखाओं को पढ़ने का फुटकर शौक जाने कब लगा पता नहीं ,और अब अजनबी हस्तरेखाओं को भी ठीक ठाक बता ही लेता हूँ , याचक प्रायः इस फुटकर वाचक से संतुष्ट हो ही जाते हैं । साथ ही ब्रहांड के किसी एकाधिक अंश

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