shabd-logo

हेट स्पीच ।

24 अगस्त 2022

58 बार देखा गया 58
आज रामलीला मैदान में खचाखच भीड़ थी, मंच क्षेत्र के नामी गिरामी उदीयमान लोगो से बोझिल हुआ जा रहा था । आज़ादी के अमृत महोत्सव पर सभी महानुभाव अपने विचार रख रहे थे । मंच राष्ट्रवादी और देशभक्ति के विचारों से ओत प्रोत हो रहा था । तभी माइक को संभालते हुए एक इंसाननुमा शख्स ने अपने शब्दों और भाषण से जैसे आज़ादी शब्द के मायने ही बदल दिए । भारतीय संविधान का आर्टिकल उन्नीस ऐसे तो अभिव्यक्ति की सर्वथा आज़ादी का अधिकार देता है , लेकिन वक्ता महोदय इस मौलिक अधिकार का उपयोग मानो स्वयं के जाति और धर्म को अन्य जातियों और धर्मों से छुटकारा दिलाने में कर रहे थे , बिना इस बात को जाने और समझे कि वो जिस मंच पर खड़े हैं उसकी उस आज़ादी की बुनियाद ही भारतीय विविधता में एकता से बनी और बुनी हुई है ।
,


हाल ही में भारतीय सियासत में इस प्रकार के "हेट स्पीच" की जैसे रवायत सी बन पड़ी है , प्रेम ,सौहार्द और बंधुत्व की बात करने वाली भूमि जैसे नफरतों का व्यापार कर रही है । धार्मिक संगठनों और उनके विचारों का उन्माद जैसे किसी अन्य पंथ और विश्वास को मानने वालों को ज़रा भी सहने को तैयार नही है । एक दूसरे की उपासना की पद्धतियां तक असह्य हो चली हैं । माइक और लाउडस्पीकर के द्वारा , रहन सहन, वेश भूषा के द्वारा,खान पान के द्वारा जैसे एक वर्ग इसे दूसरे पर थोपने को आमादा है । "दीवाली में अली बसे राम बसे रमजान" का भाव और सोच रखने वाली भूमि और उसकी पर्यावरण में ये नफरती प्रदूषक कब और कैसे घुल गये ये घोल दिए गए, इसकी निगहबानी सबसे  ज़रूरी है।
,


इतिहास इस बात की गवाही देता रहा है कि नफरतों की बुनियाद पर किसी भी देश सम्प्रदाय और धर्म ने कालजयिता नहीं प्राप्त की है । प्रेम , विश्वास और सबके मंगल की कामना ही आद्योपांत  भाव हैं । 
,


इतिहास अपनी प्रौढ़ अंगुलियों से हमें इंगित करता है उस दृश्य की ओर, जब प्रथम विश्व युद्ध के बाद शांति के लिए तरसती दुनिया पर हिटलर ने अपने इन्ही हेट स्पीचों के माध्यम से उस दूसरे विश्व युध्द की बुनियाद रख दी जिसकी जलालत पूरी दुनिया झेलने को बाध्य है । यहूदियों के लिए नफरतों का जो विष हिटलर ने जर्मनों के मन मे बोया उसकी फसल उर्वर तो नही ही होनी थी ।
,


इतिहास पूरे मध्यकाल में उन तमाम आताताइयों की ओर भी इशारा करता है जिन्होंने धार्मिक युद्ध, जेहाद और क्रुसेड के नाम पर ऐसे युद्ध लड़े जिसने मानवता को न केवल भयानक नरसंहार दिए सामूहिक बालात्कार दिए बल्कि ऐसी  तमाम दुष्प्रवृत्तियों से परिचय कराया जिसे आज का तथाकथित सभ्य समाज नजरें मिलाने में कतराता है । हमारे भारतवर्ष ने भी ऐसे अनेकोनेक युद्धों को झेला है जिसकी बुनियाद धार्मिक उन्माद थी और जिनका उद्देश्य अपनी श्रेष्ठता को इस भारत भूमि पर लादना था , नतीजा क्या रहा ? हमारी भारतीयता और सांस्कृतिक तेजस्विता यहां की माटी में यहां की नदियों ,पर्वतों , हवाओं से होते हुए हम सभी भारतीयों में अहर्निश है ।
,


बर्चस्वता का संघर्ष और उसकी प्राप्ति मानव की सबसे प्रभूत आकांक्षाओं में से एक रही है । महत्वाकांक्षी इसको पाने के लिए युद्ध और विजय का मार्ग चुनता आया है , छोटी विजय जहां एक व्यक्ति या कुछेक व्यक्तियों को पराजित कर उन्हें हेय और निकृष्ट बनाकर प्राप्त हो जाती है,, तो वृहत्तम विजयों के लिए एक पूरे समुदाय को हेय बनाकर और उनके लिए अपने मन में और अपने लोगो के मन मे नफरती बीजारोपण ही सियासत है । हेट स्पीच एक ऐसे ही उपकरण के रूप में हमारे वर्तमान में कुछ ऐसे घावों को कुरेदने की कवायद है जो ऐसी कसरतों से पुनः हरा होना चाहते हैं , क्योंकि अंधेरा हो या अज्ञान , असुर हो या शैतान यत्र तत्र और सर्वत्र व्याप्त हैं जहां प्रकाश नहीं है जहां ज्ञान की अनुपस्थिति हैं जहां प्रेम रूपी पुष्प नही होगा नफरत के नागफ़नी आहिस्ता आहिस्ता पनप ही उठेंगे ।
,


हेट स्पीच के लिए भारतीय दण्ड संहिता में कोई परिभाषा नहीं है फिर भी हर वो स्पीच जो किसी समुदाय ,जाति या धर्म के विरुद्ध नफरत फैलाये वो इसके दायरे में आता है । अपनी सोच के रुढियों में ग्रस्त वे लोग और ऐसे समुदाय जो सहअस्तित्व की भावना को दरकिनार करते हैं । जो स्वयं को और अपने विश्वास को अपने पंथ को सर्वोपरि मानते हैं और ऐसे विचार का प्रसार करते हैं , हेट स्पीच रूपी विषाणु के वाहक हैं । भारतीय दंड संहिता की धारा 153, 295 और 505 ऐसी किसी भी बीमारी के निरोध के लिए दंडात्मक प्रावधान करती है । बावजूद इसके हेट स्पीच और अभिव्यक्ति की आज़ादी में अंतर के लिए इसकी परिभाषा और पहचान नितांत जरूरी चीज है जिसे किया ही जाना चाहिए ।
,

"सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा , कुछ बात है कि हस्ती मिटती नही हमारी  " की भावना रखना ठीक बात है , पर ये आत्मश्लाघा के स्तर पर पहुंचकर हम भारतीयों और हमारी भारतीयता को दीमक की तरह कही खोखला ना कर दे इसकी आशंकायें भी हैं । एक व्यक्ति के तौर पर , मानव होने के नाते और सबसे ऊपर भारतीयता के नाते हमें समझना होगा कि इन नफरती संबोधनों को कैसे बरता जाये , भारत की बुनियाद और अस्मिता ही विविधता में एकता से बुनती और बनती आयी हैं ।इस विविधता की बुनियाद को सच्चे राष्ट्रवाद की भावना के रूप में हरएक को आत्मसात करना होगा , आज हेट स्पीच है तो कल और कोई उपकरण जो मीठे और उत्तेजक जहर के रूप में हमारी शिराओं को और फिर शनैः शनैः पूरे भारतवर्ष को लबे समय के लिए रोगग्रस्त कर सकते हैं , ऐसे में भारत जो आज विश्व गुरु के अपने सर्वमान्य अधिकार को हस्तगत करने की दिशा में अग्रसर है , उसकी इस अश्वमेधी यात्रा को द्रुतमयी बनाये रखने की जिम्मेवारी हम सभी की है और वो आपसी नफरतों के कोढ़ के अंतिम संस्कार से ही संभव है , एवमस्तु । ~ ऋतेश

 
ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

एक्चुअली थोड़ा access करने में समस्या आ रही है, शायद एप्लीकेशन अभी developing process में हो इसलिए, जैसे आपकी टिप्पड़ियों का नोटिफिकेशन काफी पहले आ गया और उसपर रिप्लाई अभी कर पा रहा हूँ । खैर हो जाएगा, शुक्रिया

25 अगस्त 2022

काव्या सोनी

काव्या सोनी

25 अगस्त 2022

Koi bat nhi accha likhte ho aap 😊

काव्या सोनी

काव्या सोनी

बहुत बढ़िया👌👌

25 अगस्त 2022

Vijay

Vijay

बहुत ही समग्रता से लिखा गया स्तरीय लेख है । आशा है ये लेखनी ऐसे ही नए आयामों से परिचित कराती रहेगी, साधुवाद !

24 अगस्त 2022

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

25 अगस्त 2022

बहुत आभार

10
रचनाएँ
ऋतेश आर्यन की डायरी
5.0
इस किताब में कुछ अनुभव हैं, कुछ अनुभूतियां हैं, कुछ विमर्श है, गंभीरता है, सूचनाएं भी हैं, प्रकृति है , प्रेरणा है , इतिहास है तो राजनीति भी, समाज है तो जागृति भी । सिनेमा ,संस्मरण, खेल ,धारवाहिक, साहित्य ,संस्कृति और वो सब कुछ जो एक मंच पर एक साथ रखने की सबसे बेहतरीन कोशिश मेरे द्वारा की जा सकती थी । इस विहंगम यात्रा में आपका स्वागत है ।
1

पिक्चर अभी बाकी है~

23 अगस्त 2022
2
2
4

याद हो आती है वो पहली फ़िल्म जिसे देखने के दौरान मानो शरीर की सुध बुध तक खो गयी थी । कथानक की बढ़ती गति में नायिका राधा का नई नवेली दुल्हन के रूप में अवतरण और घर की जिम्मेवारियों को निभाते ह

2

हेट स्पीच ।

24 अगस्त 2022
7
2
6

आज रामलीला मैदान में खचाखच भीड़ थी, मंच क्षेत्र के नामी गिरामी उदीयमान लोगो से बोझिल हुआ जा रहा था । आज़ादी के अमृत महोत्सव पर सभी महानुभाव अपने विचार रख रहे थे । मंच राष्ट्रवादी और देशभक्ति के विचारों

3

वो सातवीं सीढ़ी~

24 अगस्त 2022
1
0
0

सुनो, याद तो होगी तुम्हे वो सातवीं सीढ़ी जहां तक का सफर हमने साथ मिलकर तय किया था ।वो सातवीं सीढ़ी, जहां बैठे बैठे कितनी सांझें हमने मिलके रातों में बदली थी ।वो सातवी सीढ़ी , जहा झींसे वाली बारिशें कुछ अ

4

आयुर्वेद बनाम एलियोपैथी~

24 अगस्त 2022
1
0
0

आयुर्वेद बनाम एलोपेथी की बहस एक अतार्किक बहस है । जिसमें किसी एक चिकित्सा विधा को स्थापित कर दूसरे को सिरे से खारिज कर देना आपको संकीर्णता और पूर्वाग्रह से ग्रस्त मार्ग पर ही लेकर जायेगा । ......

5

ये सोशल डिस्टेंसिंग~

24 अगस्त 2022
2
1
2

अथ दूरी महात्म्य~ दूरी मजबूरी है लेकिन बेहद जरूरी है । मनुष्य को सामाजिक प्राणी बताने वाले अरस्तू को कोरोना की अति सामाजिकता का भान रहा होता तो जरूर उसने सोशल डिस्टेनसिंग की किसी थ्योरी को ऐड ऑन किया

6

केसरी की कथा~

24 अगस्त 2022
1
1
2

होली के दिन की थकान को उतारने के बनिस्बत दूसरे दिन फ़िल्म देखने का जो कार्यक्रम बना तो अपनी टोली में किसी की भी जबान पर केसरी के सिवा कोई और नाम नही था । बहरहाल व्यक्तिगत तौर पर मैंने फ़िल्म में जो खोजा

7

क्यों फ्लॉप हो रहा बॉलीवुड !!

24 अगस्त 2022
2
1
0

क्यों असफल हुई और होती रही हैं हाई रेटेड, बहुचर्चित शमशेरा जैसी उम्दा कहानी और मुस्तैदी से बनाई गई फ़िल्म , इस बात को जानना महज़ सिनेमाई प्रेमियों के लिए ही जरूरी नही है बल्कि हर उस इंसान के लिए भी जरूर

8

पचहत्तर की उम्र में भारत~

26 अगस्त 2022
1
0
0

पचहत्तर बरस की उमर स्वयं में एक उपलब्धि है । एक ऐसा पड़ाव जहां से वापस मुड़कर देखना और इस यात्रा का सिंह अवलोकन करना कितना रोमांचक हो सकता है ये इस देश के लोगो से बेहतर कोई नही समझ सकता । एक ऐसा देश और

9

इंतेज़ार~

26 अगस्त 2022
1
0
0

इंतेज़ार एक ऐसा लफ्ज़ जिसमें समूचा जीवन अंगड़ाई ले सकता है । कायनात की हर शय मानो किसी के इंतेज़ार में ही है । बच्चा जवान होने के इंतेज़ार में तो कोई फिर से बच्चा होने की चाह रखता है ●● ●●भंवरे को

10

लकीरें भी बोलती हैं~

4 अक्टूबर 2022
3
2
2

हाथ की रेखाओं को पढ़ने का फुटकर शौक जाने कब लगा पता नहीं ,और अब अजनबी हस्तरेखाओं को भी ठीक ठाक बता ही लेता हूँ , याचक प्रायः इस फुटकर वाचक से संतुष्ट हो ही जाते हैं । साथ ही ब्रहांड के किसी एकाधिक अंश

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए