14 सितम्बर 2015
बहुत सुन्दर ॥.वे भाग्यशाली हैं जिनका बचपन संचार क्रांति से पहले बीता; प्रकृति के सानिध्य में बारिश ,तितली, रेत, पंछी और पतंगों से खेलते हुए ।अब तो स्कूल भी एयर कंडीशंड हैं ऊपर से बहुमंजिले भी....पहले समय में तो स्कूल का मतलब ही आज़ादी और ढेर सारा विस्तार था ॥
15 सितम्बर 2015
"नहीं पकड़ते तितलियाँ गौरैयों और कबूतरों के घोंसलों में देख उनके बच्चों को अब वे नहीं होते रोमांचित"..... उत्कृष्ट रचना !
14 सितम्बर 2015