पाँव के नीचे की जमीन
गाँव में अब बच्चे नहीं खेलते गुल्ली डंडा, कबड्डी, छुप्पा-छुप्पीअब वे नहीं बनाते मिट्टी की गाडीनहीं पकड़ते तितलियाँगौरैयों और कबूतरों के घोंसलों में देख उनके बच्चों कोअब वे नहीं होते रोमांचित अब उन्हें रोज नहीं चमकानी पड़ती लकड़ी की तख्तीढिबरी की कालिख से मांज करऔर न ही उस पर बनानी पड़ती हैं दूधिया सतर