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‘प्रेम’ और उसका अनुभव

28 अप्रैल 2021
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कबीरा मन निर्मल भया जैसे गंगा नीर पीछे-पीछे हरि फ़िरेकहत कबीर कबीर|| यदि मनुष्य का मननिर्मल हो जता है तो उसमे पवित्र प्रेम उपजता है वो प्रेम जिसके वशीभूत होकर स्वयंईश्वर भी अपने प्रेमी के पीछे दौड़ने के लिए विवश हो जाते है| ये गोपियो

क्योंकि वो “बेटी” है

28 अप्रैल 2021
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बेटा वंश की बेल को आगे बढ़ाएगा,बुढ़ापे में मेरी सेवा करेगा और मेरा मेरा अंतिम संस्कार करमुझे स्वर्ग की सीढी चढ़ाएगा | यहाँ तक की मृत्यु उपरान्त मेरा श्राद्ध करेगाजिससे मुझे शांति और मोक्ष की प्राप्ति होगी और बेटी, बेटी तो क्या है पराया कूड़ाहै जिसे पालते पोसते रहो उसके दहेज की व्यवस्था के लिए अपने को ख

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