ईरानी खानम, जीना सिखा गयी डॉ शोभा भारद्वाज पलवल शटल से जा रही थी गाड़ी चलने से पहले एक महिला डिब्बे में चढ़ीं उनको देखकर यात्रियों ने तुरंत बैठने के लिए सीट दे दी जबकि मैं पहले से खड़ी थी महिला नेमेरे लिए भी अपने पास जगह बना दी मैं उनको एकटक देख रही थी , बोलने के मीठे लहजेमें ईरानी शिष्टाचार था नील