( एक सामाजिक रचना , जो सच्ची घटना पर आधारित है। साहित्य की ज्यादा समझ तो मुझमे नही है, बस उस घटना को शब्दों में पिरोकर एक कहानी के रूप में आप सबके समक्ष रख रहा हूँ। उम्मीद है कि पसन्द आएगी। आपके विचारों की प्रतीक्षा में,,,,, अप्रिय)
फाल्गुन का महीना था। गांवों में बुजुर्गों संग नोजवान भी चंग के थपेड़ों पर नृत्य कर रहे थे।गांव के मध्य एक चौपाल बनी हुई थी जहाँ गांव का हर जरूरी कार्य निपटाया जाता था।होली के मौके पर 10/15 दिन यहीं पर चंग की थाप पर धमाचौकड़ी मची रहती थी। डोर चबूतरे पर बैठा सतु भी मस्ती से आनंद ले रहा था। सतु अपनी बुआ के ससुराल आया हुआ था। उसको यहां का परिवेश भा गया था। सतु 20/21 साल का सजीला नोजवान था। उसकी बुआ का लड़का अभी छोटा था पर वो धमाचौकड़ी में मस्त था। बाकी गांव में किसी से सतु की जान पहचान नही थी।
सतु के घर के आर्थिक हालात ठीक नही थे इसलिए सतु को पढ़ाई बीच मे ही छोड़नी पड़ी। 6 वर्ष पहले ही सतु को घर से बाहर निकल कर काम की तलाश करनी पड़ी। सतु के पिताजी एक दुर्घटना के शिकार हो कर अब चारपाई के सहारे जीवन बिता रहे थे। सतु की दो बहनें थी घर की तंग हालात से वाकिफ सतु ने समझदारी से पढ़ाई छोड़ी और घर की जिम्मेदारी संभाली, पर दोनों बहनों से वादा भी किया कि तुम दोनों को पढ़ाऊंगा। घर से बाहर पहली बार सतु निकला तो पास में सिर्फ मजबूत मानसिकता के सिवाय कुछ ना था। सतु को एक महाजन के यहां काम मिला चूंकि वो पढ़ा हुआ था तो हिसाब किताब में भी अच्छा था, सेठजी ने दुकानदारी की व्यवहारिक बाते सतु को समझाई जो सतु ने गांठ बढ़ ली थी।
अपने अच्छे व्यवहार और मेहनत के चलते पिछले 6 साल से सतु सेठजी का विस्वास्पात्र था। जब गांव आता तो बहूत कम छूटी मिलती लेकिन सतु को अपना वादा निभाना था जो बहनों से किया था तो सतु तय समय मे वापिस काम पर चला जाता। इससे सेठजी और खुश हो जाते।
सतु की मेहनत का ही परिणाम था कि अब सतु के भरोसे दुकान छोड़कर सेठजी 10/ 10 दिन तक परिवार के साथ घूमने चलर जाते। सतु के वेतन में भी वृद्धि हुई तो घर की हालत में भी सुधार हुआ। दोनो बहने मन लगाकर पढ़ती थी तो पिताजी के स्वास्थ्य में भी सुधार हो रहा था। कुलमिलाकर सतु ने घर की डूबती नैया को पार लगा लिया था। अब वो खुश था।
लेकिन जब से सतु अपनी बुआ के यहां आया है तब से वो कुछ बदला सा लग रहा है। पता नही ना ज्यादा बोलता है ना ही किसी काम मे मन लगता है। इसका कारण था सतु की बुआ के पड़ोस में एक दुकान थी जिसमे जरूरत का सामान मिलता था । मौहल्ले में एक ही दुकान थी तो सतु की बुआ के घर मे बि सामान वही से आता था। एक रोज दोपहर को सतु दुकान पर कुछ लेन गया तो देखता है कि दुकान में एक महिला बैठी है जो उम्र में तो 20/ 21 साल की ही लगती है पर उसने सफेद साड़ी पहन रखी थी।
सतु ने उसे देखा वो दुकान के हिसाब में व्यस्त थी, बालो की लट गालों पर आ रही थी , गोरी छरहरी काया,, तीखी नाक, सतु बस उसे देखता ही रह गया। उसके दीदार में सतु इस कदर खो गया कि वो भूल गया कि उसको लेना क्या है। जिस काम से आया था उसे भूलकर वो उसके दीदार में खो गया।अचानक एक सुरीली आवाज सतु के कान में पड़ी तो वो सपने से जगा , क्या चाहिये आपको?
सतु जैसे नींद से जागा हो,, क क ,,, कुछ नही कहकर सतु वापिस बुआ के घर की तरफ भाग। घर आकर सतु उसमे ही खोया हुआ बिस्तर पर लेट गया और उसका मस्तिष्क विचारो के गहरे सागर में डूब गया-----
क्रमशः,,,,,