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Part 1

24 अक्टूबर 2021

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इस कहानी का मुख्य पात्र हैं... रविश... जिसे प्यार से सब लोग सोनु भी बुलाते हैं...।। 
ये कहानी हैं राजस्थान के एक छोटे से शहर बाड़मेर की....।। 
रविश अपने माता पिता की इकलौती संतान था.... जी हाँ... था.....।। आप लोग समझ ही गए होंगे मैंने था क्यूँ लिखा हैं....।। 
क्या हुआ था रविश के साथ.... ये ही जानेंगे इस कहानी में....।।।

रविश उर्फ सोनू..... माँ बाप की आंखों का तारा....।। 
भले ही मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मा हो पर उसकी हर ख्वाहिश को पूरा किया जाता था.... एक तो इकलौती औलाद...ऊपर से बहुत ही होनहार.... दिखने में बेहद आकर्षित....। 

ना सिर्फ परिवार का बल्कि आस पड़ोस में सभी का चहिता था रविश....। 

वक़्त बीतता गया.... दिन महिनों में.... और महिने सालों में गुजरते गए...। 

बचपन का सोनू अब बड़ा हो चुका था.... लेकिन सिर्फ वो उम्र में ही नहीं बड़ा था.... बल्कि उसकी ख्वाहिशें और चाहतें भी आसमान जैसे बढ़ गई थी....। 

सोनू पढ़ाई लिखाई में ठीक ठाक ही था पर दिखने में बहुत ही चार्मिंग था.... कोई भी एक नजर देख ले तो बस उसकी कद काठी पर मोहित हो जाए...। 

अपने ऐसे ही लुक की वजह से वो अपने अड़ोस पड़ोस में बहुत ही मशहूर था... ना सिर्फ लड़कियां बल्कि लड़कें भी उससे बात करने और दोस्तीं करने के लिए बेताब होते थे...। 

सोनू के कालेज में उसके बहुत से ऐसे ही दोस्त थे....। सोनू को अपने ऐसे लुक पर बहुत अभियान भी था....।।। 

सोनू साधारण से दिखने और कम पैसे वाले लोगों से दोस्ती ही नहीं करता था...।। हालांकि पैसा उसके परिवार में भी नहीं था पर वो सिर्फ अपनी पर्सनेलिटी के हिसाब से रहता ऐसे था जैसे बहुत पैसे वाला हो...। 

उसके माँ पापा का इकलौता बेटा था और बचपन से उसकी हर ख्वाहिश को वो पूरा कर रहे थे इसलिए वो अभी भी उसकी हर मांग पूरी कर रहे थे...। 
लेकिन वक़्त के साथ साथ सोनू का दिखावा बढ़ता ही जा रहा था..... महंगे कपड़े और जूतों से शुरुआत होतें हुए.... अब महंगी घड़ियों... मंहगा मोबाइल.... हर जरुरत की चीज़ का बड़े से बड़े शोरूम से खरीदना..... आए दिन दोस्तों के साथ बाहर खाना खाने जाना.... जैसे रोज़ की बात हो गई थी....।।। 

उसके माता पिता अब उसके खर्चों से तंग आ चुके थे... लेकिन सोनू कहाँ मानने वाला था...। 

बहुत बार उसके मां पापा ने अपनी परिस्थितियों को समझते हुए खर्च करने की बात की.... पर सोनू को कोई फर्क नहीं पड़ा...।।।। वो तो अपनी दुनिया बसा चुका था अपने दोस्तों के साथ....।।। 
उसके दोस्त भी उसके इस अंदाज से जीने पर बहुत खुश थें क्योंकि उनके भी खर्चे अब सोनू करने लगा था.... सिर्फ दिखावे के लिए... अपना रुतबा बढ़ाने के लिए....।।। 

दिन भर दोस्तों के साथ रह रहकर अब वो उनकी ही मानने लगा था....।।। 

एक दिन सोनू अपने दोस्तों के साथ बैठा गप्पे लगा रहा था...।। 
मनीष:- यार सोनू एक बात बोलू...। 
सोनू:- हां बोल ना यार....। 
मनीष:- यार तेरे पास इतना पैसा हैं... ऊपरवाले ने तुझे इतना गठीला बदन दिया हैं.. इतना खुबसूरत चेहरा दिया हैं..  तु फिल्मों में टार्य क्यूँ नहीं करता....!!!! 
सोनू:- क्या... फिल्मों में.... तु पागल हो गया है क्या...। 
मनीष:- अरे यार मैं सच कह रहा हूँ.. मज़ाक नहीं कर रहा... अरे अपनी फिल्म इंडस्ट्री में ऐसे चार्मिंग और गूड लुकिंग लड़कों को बहुत जल्दी मोका मिल जाता हैं....। 
सोनू:- वो तो ठीक हैं पर एकटिंग भी आनी चाहिए....।।। 
मनीष:- अरे उसमें कौनसी बड़ी बात हैं... एक्टिंग की क्लासेस कर लेना..... तुझे कौनसा पैसों की कमी हैं...। 
राकेश, वीरु, अजय, माखन, बिरजू, स्वाति, मोनल..... वहाँ बैठे सभी सोनू के दोस्त एक एक करके मनीष की इस बात पर दम भरते गए और सोनू के दिमाग में फिल्म इंडस्ट्री की चकाचौंध और प्रसिद्धि के बारे में  बातें कर कर करके उसे भी इस ओर आगे बढ़ने के लिए उकसा दिया।।।।। 

सोनू पर अब फिल्म इंडस्ट्री का भूत पूरी तरह सवार हो गया था...। वो घर पर अपने पेरेन्ट्स से अब एक्टिंग क्लास जोइन करने की जिद्द करने लगा...।। 

उसके पेरेन्ट्स ने बहुत समझाया पर सब व्यर्थ... सोनू तो जैसे पागल हो चुका था....।।। मरते क्या ना करते..... आखिर कार उसके पेरेन्ट्स ने एक एक्टिंग क्लास में उसका दाखिला करवा दिया....। कुछ दिन तो सब ठीक था... पर कुछ दिनों बाद ही एक्टिंग क्लास वालों की डिमांड बढ़ने लगी..... जिसे अब पूरा करना सोनू के पेरेन्ट्स के लिए नामुमकिन हो गया था...... इसलिए उन्होंने क्लासेस बंद करवा दी.... इस बात से सोनू का अपने पेरेन्ट्स से बहुत झगड़ा हो गया....। 
झगड़ा और लड़ाई इस हद तक बढ़ गई की सोनू गुस्से में घर से बिना कुछ खाए पिए बाहर चला गया...।। 
शाम का वक्त था.... धीरे धीरे रात ढलने लगी पर सोनू वापस नहीं आया..... वो अपने घर से थोड़ी दूर ही रह रहे अपने दोस्त मनीष के घर पर था..... लेकिन उनके पेरेन्ट्स को चिंता सताने लगी.... क्योंकि आज से पहले सोनू ऐसे कभी रुठकर नहीं गया था...। 
आखिरकार बच्चों के आगे किसकी चलीं हैं...। उसके पेरेन्ट्स सोनू की हर जिद्द पर हामी भरकर उसे घर ले आए....।।। 
अगले दिन से ही एक नई एक्टिंग क्लास में उसका दाखिला करवा दिया....।।। कुछ महीनों की क्लासिस के बाद अब दोस्तों के कहने पर सोनू अब मुम्बई जाने की जिद्द करने लगा....। उसके पिताजी पहले ही क्लासिस के खर्चे और उसके खर्चे उठा उठा कर कर्ज में डुब चुके थे....।। लेकिन कर भी क्या सकते थे....।।।। 
आखिर में उन्हें वही करना पड़ा जो सोनू चाहता था....।। 
सोनू:- थैक्यु पापा..... आप देखना मुम्बई जातें ही मैं इतनी तरक्की करूँगा की आपके सारे कर्जे तो यूँ उतर जाएंगे...।।।। आप देखना वहाँ जातें ही मैं कहाँ से कहा पहूंच जाता हूँ....। 
सुरेश:- भगवान करे ऐसा ही हो बेटा क्योंकि अब हमारे पास कर्जा लेने के लिए कुछ भी नहीं बचा हैं... गहने तो पहले ही बेच चुका हूँ.... अभी ये मकान भी गिरवी रख दिया हैं.... सिर्फ इसलिए की तेरे सपने पूरे हो जाए... बस बेटा अब तो ये ही आखिरी उम्मीद है... हम तो बस दुआ ही कर सकते हैं कि जैसा तु चाहता हैं वैसा ही हो... ताकि सब मुश्किलें सुलझ जाए....।।। सोनू:- अरे पापा... मम्मी अब तो आपके अच्छे दिन आएंगे.... आप देखना मैं क्या क्या करता हूँ.... बस एक बार मुम्बई पहूंच जाने दो...।।। 
कविता:- तेरा हर सपना पूरा हो बेटा... अभी जल्दी से अपना सामान बांध ले.... मैं तेरे लिए खाने का इंतजाम कर देतीं हूँ....।।। शाम को निकलना हैं ना तुझे...।।। 
सोनू:- हां माँ.... मैं अपने दोस्तों से मिलकर थोड़ी देर में आता हूँ... तब तक आप मेरे लिए खाना बना दो...।।। 

ऐसा कहकर सोनू बाहर चला गया.  ..।।। 
उसके जातें ही उसके पेरेन्ट्स गहरी चिंता में डुब गए... दोनों एक दुसरे से बातें कर रहे थे....।। 
सुरेश:- ये लड़का तो कुछ समझ ही नहीं रहा हैं.... ना जाने कहाँ से इसे फिल्मों का भूत चढ़ गया हैं.... अरे लाखों रुपये लगते हैं... कहाँ से लाउंगा... इतने रुपये..... थोड़ा पढ़ाई कर लेता तो आज कम से कम एक अच्छी नौकरी तो मिल जाती उसे.... पर कुछ सुने समझें तो ना....।। 
कविता:- मैं आपकी चिंता समझतीं हूँ.... सोनू के पापा.... पर हम कर भी क्या सकते हैं.... बस दुआ करो.... उपरवाले से प्रार्थना करो की वो कामयाब हो जाए.   उसके सपने पूरे हो जाए.. ....।।।। 
सुरेश:- हां ओर कर भी क्या सकते हैं.... अब तो बस ऊपरवाले का ही आसरा हैं....। 

वहीं दूसरी ओर सोनू बहुत ही ज्यादा उत्तसाहित था..... वो अपने दोस्तों के साथ मिलकर बस अपने आने वाले समय के बारे में चर्चा करने में व्यस्त था...। 

मनीष:-यार सोनू तु फिल्मस्टार बनकर हम सबको भूल मत जाना... याद रखना तुझे ये रास्ता हमने ही दिखाया हैं....।। 
सोनू:- अरे नहीं यार.... तुम सब देखना अब मैं क्या क्या करता हूँ.... तुम सब फक्र से कहोगे अरे वो देखो सोनू . . . . . टीवी पर.... बड़ी स्क्रीन पर अब हर जगह बस मैं ही मैं होऊंगा....।। 

कुछ देर बाद ही सोनू सबकों बाय बोलकर अपने घर आकर अपनी पैकिंग में व्यस्त हो जाता हैं.... शाम को समय  पर गाड़ी में बैठकर अपने माँ पापा से विदाई लेकर अपने गंतव्य की ओर.... एक नई मंजिल की ओर चल पड़ता हैं...।। 

आंखों में बहुत से सपने.... कुछ कर गुजरने की चाह...लेकर आखिर कार सोनू अपने सपनों की नगरी मुम्बई पहुंच गया...।।। लेकिन इस शहर में अपने सपनों तक पहुंचना उतना आसान नहीं था जितना सोनू ने सोचा था. ।रोटी ...कपड़ा और मकान...इन तीनों जरुरतों के लिए सोनू ने ना जाने कितने ही आडिशन दिए... ना जाने कितने ही लोगों के पैर पड़े....।।। लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में काम मिलना इतना आसान नहीं था... दिन महिनों में बीत गए लेकिन सोनू की तकदीर के दरवाजे अभी भी बंद थें...।। 
वही दूसरी ओर उसके परिवार वालों का ये कहना की वापस आ जाओ और यहाँ आकर कोई अच्छी सी नौकरी कर लो.... सोनू को अंदर ही अंदर तकलीफ दे रहा था.... सोनू के दिल में बस ये ही था कि अब अगर वो वापस अपने शहर बिना कुछ किए गया तो उसके दोस्त..... रिश्तेदार सब उसका मजाक बनाएंगे.... उसे दोस्तों के बीच वो पहली जैसी इज्जत नही मिलेगी... बस ये ही सोच सोच कर... वो हार कर भी लगा हुआ था कि शायद कहीं से कुछ काम मिल जाए....।। कई बार तो उसे रेलवे स्टेशन... बस स्टैंड...और बगीचे मे रात बितानी पड़ती थी....।।।। अपने पेट को भरने के लिए जितनी रकम वो घर से लाया था अब सब खत्म होने को थी... .। अब सोनू बहुत परेशान होने लगा.... आखिरकार मजबूर होकर उसने एक स्टूडियो में स्पाट बॉय का काम करना शुरू कर दिया..।।। सोनू भूख की जरुरतों को पुरा करने के लिए स्पाट बॉय तो बन गया था पर वो अपने काम से खुश नहीं था... वो तो कुछ ओर ही सपने लेकर इस महानगरी में आया था.  । बहुत कोशिशें और धक्के खाने के बाद भी सोनू को उसके लायक कोई काम नहीं मिला...। एक स्टुडियो से दूसरे स्टुडियो.. तक मारा मारा फिरता रहा.... लेकिन कहीं भी उसके आकर्षित चेहरे और गठीले बदन को महत्व ही नहीं मिला... जिस पर सोनू को बहुत उम्मीद थी...। धीरे धीरे सोनू को ये भी अहसास होने लगा की अपनी जरुरतों को पुरा करने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है... आज उसे अहसास हो रहा था कि कैसे उसके पेरेन्ट्स उसकी जरुरतें पूरी करते आ रहें थे....। अब सोनू को कुछ कर गुजरने और पेरेन्ट्स की जिंदगी को सवारने का जूनून सवार हो गया था... लेकिन कहते हैं ना वक़्त के आगे किसकी चलीं हैं.. सोनू को पैसों की और अपनों की कदर तो हो गई थी लेकिन किस्मत उससे कुछ ओर ही करवाना चाहतीं थी...। सोनू अब अपनी जरुरतों के लिए हर छोटा बड़ा काम करने लगा था... दिन को स्पाट बॉय तो रात में किसी भी हाटेल या पब में वेटर....। 

सोनू दिन रात सोच सोच कर बहुत ज्यादा टेंशन में आने लगा था.... अपनी टेंशन को कम करने के लिए उसने सिगरेट का सहारा लिया...। सोनू की सिगरेट पीने कि आदत बढ़ने लगी...। एक बार सोनू अपने स्टाफ के साथ एक पब में गया... जहाँ लेट नाइट पार्टी चल रहीं थी किसी मशहूर हस्ती के जन्मदिवस की...।
एक ऐसी पार्टी जो आज हमारे समाज में और खासकर मुम्बई जैसे बड़े शहरों में बहुत आम थी...।।। 

शबाब और शराब.... 

सोनू के लिए ये कोई नई बात नहीं थी पर आज सोनू बहुत ज्यादा डिप्रेशन में था.... इसलिए वेटरिंग करते करते आज उसने छुपके से पहली बार शराब भी पी लिया थी....।।।।। जो सोनू को बहुत ज्यादा चढ़ गई थी...।।। लेकिन सोनू को कोई ओर देखता इससे पहले उसके एक सहकर्मी ने सोनू को वहाँ से अलग एक कमरे में लेकर चला गया...।।।।। वही सहकर्मी छुपके से एक ओर बोतल भी अपने साथ ले आया था... फिर सोनू के साथ बैठकर उसी कमरे में दोनों ने वो बोतल खाली कर दी थी....।।।।। 
सोनू तो वहीं बदहवास सा पड़ा रहा काफी घंटों तक.... लेकिन उसका सहकर्मी वहाँ से चला गया था सोनू को वही छोड़ कर...।।। सुबह होश में आने के बाद सोनू को पता चला की क्या हुआ था...।।।। सोनू अब बहुत ज्यादा परेशान रहने लगा था.... दिन ब दिन अब उसे सिगरेट के साथ साथ शराब की भी लत लगने लगी थी...। हर वक़्त एक चिंता उसके दिमाग में रहने लगी थी की अगर ऐसे नाकामयाब होकर वापस चला गया तो अपने घरवालों और दोस्तों को क्या मुंह दिखाऊंगा.  .। बस इसी तनाव में वो किसी से कुछ कह नही पाता था   अब तो उसने अपने परिवार वालों और दोस्तों से झूठ भी बोलना शुरू कर दिया था कि उसे फिल्म का आफर मिल गया है... अच्छा काम मिल गया है... बहुत जल्द बहुत सारा पैसा भी मिल जाएगा.  .। पर सच तो ये था कि वो ऐसे वापस जाना ही नहीं चाहता था...।। धीरे धीरे सोनू का ये झूठ उसे और भी अधिक तनाव में लेकर जा रहा था.... इसी तनाव की वजह से सिगरेट और शराब के साथ साथ अब सोनू ड्रग्स की दूनिया मे घुस चुका था...। अपनी कमाई का सारा पैसा...और गलत लोगों की संगत की वजह से ये उसकी ये आदत बढ़ने लगी....।।।। और एक दिन ऐसा आया जो उसके पेरेन्ट्स को हमेशा के लिए जीते जी मार गया.... ड्रग्स के ओवर डोज़ की वजह से सोनू की मौत हो गई... एक अंजान शहर में एक गुमनाम मौत...।।।।।। उसके मोबाइल से उसके घरवालों का पता चला और उन्हें इतला दी गई... वो लोग आए और सोनू की लाश अपने साथ ले गए...।। जब उन्हें मौत की वजह पता चलीं तो उनके पैरों तले जैसे जमीन ही खसक गई हो...।।।।। डिप्रेशन... तनाव.... ड्रग्स.... शराब..... सिगरेट.....।।।।। 

एक छोटा सा परिवार आज बिखर गया था... घर का इकलौता बेटा आज मौत की नींद सो रहा था.... क्या रहा उसके परिवार वालों के पास....।।।। 

कुछ नहीं..... सिवाय पछतावे के.... अफसोस के.....। 

लेकिन इस पूरी कहानी में गलती किसकी..... सोनू के पेरेन्ट्स की...? 
सोनू की खुबसूरती की...? 
सोनू के दोस्तों की...? 

नहीं इनमें से किसी की भी नहीं..... गलती थी..... मानसिकता की...।। 

मानसिक तनाव..... ये कोई बिमारी नहीं हैं... ये एक ऐसा रोग है जिसका इलाज कोई दवाई नहीं हम खुद है......।।। 

जी हाँ..... मानसिक तनाव का सबसे बेहतर उपाय और समाधान हैं.... बातचीत.....।। 
एक ऐसा शख्स जो आपको सुन सकें... समझ सकें.  समझा सकें... । 

तनाव को सिर्फ और सिर्फ प्यार और अपनेपन से ही दूर किया जा सकता हैं.....। 

अगर सोनू ने अपनी परेशानी अपने पेरेन्ट्स या अपने किसी दोस्त को बताई होतीं... तो शायद आज वो सबके बीच होता   ।।। 
लेकिन गलत आदतों का सहारा लेकर..... तनाव को कम करना..... उसके लिए और उसके परिवार वालों के लिए बहुत बुरा साबित हुआ...।।। 


मेरी ये कहानी लिखने का मकसद सिर्फ इतना ही हैं की सपने देखना.... ऊंचा उड़ना कोई गलत नहीं हैं... सपने देखो... उनको पुरा करने के लिए लड़ो भी.... लेकिन अगर कभी आप सफल नहीं होतें है.... या तनाव में होतें हैं तो प्लीज अपनों से अपनी परेशानी शेयर करे..  गलत संगत... गलत रास्ते पर ना जाए.... टेंशन ना करे.... मानसिक तनाव को अपने ऊपर हावी ना होने दे...।।।। अपनों से बात करके हर मुश्किल को हल किया जा सकता हैं..... और अगर आपका कोई अपना नहीं हैं तो......मै हूँ ना...... ☺☺☺




शिव खरे "रवि"

शिव खरे "रवि"

बिल्कुल सही विश्लेषण किया है आपने एक बहुत ही मार्मिक और प्रेरक कहानी के जरिए। सही हल बताया है आपने कि शेयर करने से डिप्रेशन से बचा जा सकता है। मेरी किताब खरीदने के लिए आपका दिल से शुक्रिया 🙏🙏🙏🙏🙏

26 अक्टूबर 2021

Diya Jethwani

Diya Jethwani

26 अक्टूबर 2021

शुक्रिया जी.... ☺

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रचनाएँ
मानसिक तनाव
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मानसिक तनाव..... डिप्रेशन...... आजकल की लाइफ स्टाइल में ये शब्द शायद किसी के लिए नया नहीं होगा.... लेकिन आखिर ये तनाव होता क्या हैं.... हम आए दिन ये सुनते हैं.... किसी ने मानसिक तनाव के कारण आत्महत्या कर ली...किसी को दिल का दौरा आ गया.... आखिर क्यूँ और कैसे होता हैं ये मानसिक तनाव....इसी विषय पर ये एक छोटी सी कहानी हैं.....।।।।

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