वर्तमान हालात....
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हालात के नजारे
हम तुम बयां करेंगे
अफसाना या हकीकत
डंका बजा ही देंगे...
गर जुर्म है ये पक्का
हम तुम गवाही देंगे
कुछ तुम बढ़ोगे आगे
कुछ हम सहारा देंगे...
तुमने हमें सताया
हमने तुम्हें रुलाया
दोनों ने सजा पाई
कुछ भी कभी ना पाया...
कुछ दोस्तों ने दुश्मनी का
हक अदा किया
हमको हमीं से छीनकर
जुदा है कर दिया...
सारे तमाशबीन हैं
काफिर हुए हैं हम
ना तुम कभी बुरे थे
ना हम हुए गलत...
फिरकापरस्त आज भी
हम पर करें हैं जुल्म
ना तुम थे कभी छोटे
ना हम कभी दबंग...
क्या दोस्ती का हाथ
बढ़ाना गुनाह था
एक दूजे को लड़ाना
क्या पवित्र काम था...?
आओ बुझा दें मिलकर
इस नफरत की आग को
मिटने कभी ना देंगे
एक दूजे की शान को...
पी कल्पना.....