गौ-चिकित्सा -सूई पेट में चले जाना।
पशु के पेट में सुई चली जाना
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यदि किसी प्रकार चारा दाना खाने के साथ पशु के
पेट में सुई चली जाये तो उसे महाकष्ट होता है । सुई
उसकी आँतों मे चूभने लगती है , जिससे उसके पेट में कष्ट
होने लगता है , पशु के पेट में दर्द आरम्भ होने लगता है ,
उसकी भूख प्यास जाती रहती है तथा उसे दिन रात
सुस्ती रहती है । आँखों से पानी बहने लगता है और पशु -
प्रतिदिन दूबला होता जाता है , शीघ्र चिकत्सा न
मिलने के कारण पशु की मृत्यु हो जाती है ।
विषेश - पशु के पेट में सुई चुभने व अन्य प्रकार के दर्द में
निम्न अन्तर है --
अन्य प्रकार के दर्द में पशु की आँख से
पानी नहीं गिरता हैं , यदि पशु के पेट में सुई चुभने
का दर्द होता हो तो - उसकी आँखों से लगातार
पानी टपकता है । सुई चुभने के दर्द से पशु दाँत
भी किटकिटाता है । इस रोग का तुरन्त निदान
करना चाहिए ।
१ - औषधि :- गुलाबजल २५० ग्राम , चूम्बकपत्थर पावडर
२० ग्राम , दोनों को आपस में मिलाकर नाल
द्वारा पशु को पिलायें । दवाई पिलाने के तीन घन्टे
बाद अरण्डी तेल ५०० ग्राम , डेढ़ किलो गाय के दूध में
मिलाकर पशु को पिलाने से सुई गुदामार्ग से बाहर आ
जायेगी ।
२ - औषधि :- मुनक्का २० ग्राम , पुराना गुड़ २५०
ग्राम , अरण्डी का तेल ५०० ग्राम , सनाय पत्ते १२५
ग्राम , गाय का दूध २ किलो , और ताज़ा जल १
किलो , सभी को आपस में मिलाकर पकाते समय दूध
का पानी जल जाने दूध को पर छान लें । चुम्बकपत्थर
पावडर गुलाबजल में मिलाकर नाल द्वारा पिलानें के
बाद इस औषधिनिर्मित दूध को नाल द्वारा ही पशु
को पिला देना चाहिए । इस प्रयोग से सुई गुदामार्ग
से बाहर आ जायेगी