इतिहास की दृष्टि में
‘पेटेंट’ का शब्द, लैटिन के शब्द Lilterae Patents से आया है। पेटेंट का अर्थ है ‘खुला’ और Lilterae Patents का शाब्दिक अर्थ है (Letters patents) या खुले पत्र। पुराने जमाने में शासको या सरकारों के द्वारा पदवी‚ हक‚ विशेष अधिकार पत्र के द्वारा दिया जाता है। यह शासकीय दस्तावेज होता था और इन्हे चूंकि सार्वजनिक रूप से दिया जाता था, इसलिए यह हमेशा ‘खुले’ रहते थे।
पेटेंट‚ आविष्कारकों को अनन्य (Exclusive) अधिकार देता है। यह बहुत जल्दी इटली से यूरोप के अन्य देशों तक फैल गया। जिन देशों के पास प्रौद्योगिकी नहीं थी, उन्होंने प्रौद्योगिकी को स्थापित करने के लिए विदेशी आविष्कारकों को पेटेंट देना शुरू कर दिया। इंगलैंड में पहले इसकी अवधि नहीं थी पर ब्रिटिश संसद ने 1623 में नया कानून बनाकर इसे 14 वर्षो तक सीमित कर दिया।
अमेरिका के संविधान के अनुच्छेद 1 अनुभाग 8 के अन्तर्गत अमेरिकी कॉग्रेस को विज्ञान और कलाओं की प्रगति के लिये कानून बनाने का अधिकार है। इस परिप्रेक्ष्य में कांग्रेस ने 1790 में पहला पेटेंट कानून पारित किया। फ्रान्स ने इसके अगले वर्ष पेटेंट कानून बनाया। 19वीं शताब्दी के अंत तक अनेक देशों ने अपना (जिसमें भारतवर्ष भी सम्मिलित है) पेटेंट कानून बनाया।
भारतवर्ष में पेटेंट कानून का इतिहास भारतवर्ष में पहला पेटेंट सम्बन्धित कानून, १८५६ में पारित अधिनियम था। इसे २५ फरवरी‚ १८५६ को गवर्नर जनरल की अनुमति प्राप्त हो गयी थी पर यह कानून १८५७ में अधिनियम सं. ९ के द्वारा इसलिये खारिज कर दिया गया कि इसे बनाने के पूर्व इंगलैंड की महारानी की मंजूरी नहीं प्राप्त की गयी थी।
पेटेंट प्राप्त करने की प्रक्रिया का सरलीकरण
प्रत्येक देश का अपना पेटेंट कानून है। साधारण तौर पर आविष्कारको को प्रत्येक देश में पेटेंट के लिए आवेदन देना आवश्यक है, जहां वे अपने आविष्कारों का प्रयोग करना चाहते हैं। हर देश में अलग अलग आवेदन पत्र देना कठिन कार्य है। इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए निम्न अन्तर्राष्ट्रीय प्रयास किये गये हैं।
देशों में पेटेंट संबंधी अन्तरों को कम करने का पहला प्रयास International Convention for the protection of Industrial Property था। इसे पेरिस में 1883 में अंगीकार किया गया है। इसे अनेक बार संशोधित किया गया। इसने आविष्कारकों को किसी एक सदस्य देश में आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की प्रथम तारीख का लाभ अन्य सदस्य राज्यों में आवेदन पत्र दाखिल करने की तिथि के लिये दिया।
Patent Cooperation Treaty 1970 (P.C.T. या पी.सी.टी.) पेटेंट के लिये आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की प्रक्रिया में सुविधा प्रदान करती है। यह पेटेंट के लिये आवेदन पत्र का मानकीकृत फॉरमैट बताती है और इसके साथ उन्हे दाखिल करने की केन्द्रीयकृत सुविधा भी देती है। हमने इसके अनुच्छेद 64 के उप अनुच्छेद 5 के अलावा‚ इसे7-12-98 को स्वीकार किया है।
European patent Convention, 1977 में लागू हुआ। इसके द्वारा एक यूरोपियन पेटेंट कार्यालय की स्थापना हुई। इसके द्वारा दिया गया पेटेंट, आवेदक द्वारा नामित सदस्य देशों में पेटेंट का कार्य करता है।
पेटेंटी के अधिकार एवं दायित्व
पेटेंट एक सम्पत्ति है जो कि विरासत में प्राप्त की जा सकती है। पेटेंटी उसे किसी और को दे (assign) सकता है, या बन्धक रख सकता है। यदि दूसरे लोगों ने यदि पेटेंटी से लाइसेंस न लिया हो तो, पेटेंटी उन्हें अपने पेटेंट का प्रयोग करने से या उसका विक्रय करने से रोक सकता है। उसे अधिकार है कि वह लाइसेंस के द्वारा दूसरे लोगों को यह कार्य करने के लिये अनुमति दे और इसके लिये वह रॉयल्टी भी ले सकता है। यदि कोई व्यक्ति, पेटेंटी से बिना लाइसेंस लिए या उसके पेटेंट का अनाधिकृत प्रयोग करता है तो पेटेंटी उस पर हर्जाने का मुकदमा या injunction का मुकदमा दायर कर उचित अनुतोष प्राप्त कर सकता है।
ट्रिप्स, ट्रेड मार्क या कॉपीराईट के उल्लंघन के मामलों में दाण्डिक प्रक्रियाओं एवं शास्तियों का प्रावधान बनाने के लिए सदस्यों को कहता है लेकिन पेटेंट के उल्लंघन के लिए नहीं। हमने भी पेटेंट का उल्लंघन करने वाले के लिये दाण्डिक अभियोजन का उपबन्ध नहीं किया है। हां झूठ बोलकर पेटेंट प्राप्त करने पर दाण्डिक अभियोजन की बात अवश्य है।