अर्थ जीते जी तो लोग नजर चुराते हैं, उंगली उठाने में खोए रहते हैं और मरते ही लोग कंधा देने चले आते हैं। चार का रिवाज कम सा हो रहा है। क्योंकि अब के इंसान का शरीर बेदम हो गया है। सिर्फ मुंह में जुबान और हाथ में कमान रह गई है। घरों से कई तानें बाने में बुनी चारपाई हट गई है। जिस पर बैठ लोग कितनी ही बात