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प्रकृति और पर्यावरण

31 अगस्त 2015

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मैं कानपुर से हूँ और अपने शहर पर मुझ गर्व है, अभी मैं कंबोडिया जैसे छोटे से देश में हूँ . लेकिन यहाँ की साफ़ सफाई देख कर कभी कभी मुझे जलन होती है और अपने शहर के बारे में सोच कर बहुत दुःख होता है, यह के लोगो का धैर्य देखकर तो ऐसा लगता है कि जैसे किसी ये लोग इस दुनिया से है ही नहीं, यहाँ साइकिल पर चलने वाला भी हेलमेट पहनता है, और ऑटो रिक्सा चलने वाला भी और तीन साल का बच्चा भी अगर वो स्कूटर या मोटरसाइकिल में बैठा है. मैं अपने शहर अपने प्रदेश और अपने देश में भी यही सब देखना चाहता हूँ काश मेरा कानपूर भी ऐसा हो.

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dineshpal
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मैं कानपुर से हूँ और अपने शहर पर मुझ गर्व है, अभी मैं कंबोडिया जैसे छोटे से देश में हूँ . लेकिन यहाँ की साफ़ सफाई देख कर कभी कभी मुझे जलन होती है और अपने शहर के बारे में सोच कर बहुत दुःख होता है, यह के लोगो का धैर्य देखकर तो ऐसा लगता है कि जैसे किसी ये लोग इस दुनिया से है ही नहीं, यहाँ साइकिल पर चलने वाला भी हेलमेट पहनता है, और ऑटो रिक्सा चलने वाला भी और तीन साल का बच्चा भी अगर वो स्कूटर या मोटरसाइकिल में बैठा है. मैं अपने शहर अपने प्रदेश और अपने देश में भी यही सब देखना चाहता हूँ काश मेरा कानपूर भी ऐसा हो.

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