"गीतिका" पर्दे में जा छुपे क्यों सुन चाँद कल थी पूनम।कैसे तुझे निकालूँ चिलमन उठाओ पूनम। इक बार तो दरश दो मिरे दूइज की चंदा-जुल्फें हटाओ कर से फिर खिलाओ पूनम।।हर रोज बढ़ते घटते फितरत तुम्हारी कैसीजुगनू चमक रहें हैं बदरी हटाओ पूनम।।फिर घिर घटा न आए निष्तेज हुआ सूरजअब तो गगन