दोस्तों. आपने किसी ना किसी से तो प्यार अवश्य किया होगा. लेकिन, क्या आपका प्यार सच्चा है? आखिर सच्चा प्यार किसे कहते हैं. क्या प्यार एक शारीरिक संबंध तक पहुंचने का साधन मात्र है? या फिर दो आत्माओं का मिलन. जानना चाहेंगे? आपको क्या लगता है. कोई किसी से कितना प्यार कर सकता है. क्या प्यार की चरम सीमा होती है? अगर होती है तो, उसकी हद क्या है. क्या शादी ही प्यार की मंजिल होती है? या फिर उससे भी ज्यादा कुछ हो सकता है. कोई किसी को पाने के लिए, कितना ज्यादा संघर्ष कर सकता है. और सबसे बड़ी बात. इतनी संघर्ष के बाद भी, क्या वह उसे पा लेता है? आइए. इस किताब के माध्यम से, हम इन्हीं सवालों के जवाब खोजेंगे. दोस्तों. मैं अर्पिता. मैं गुजरात की रहने वाली हूं. वैसे तो, जब मैंने प्यार किया था तो, उस वक्त मेरी उम्र मात्र 13 साल थी. पर वह कहते हैं ना, अगर आपका प्यार सच्चा है तो, वह आपको एक ना एक दिन मिल ही जाता है. इस जन्म में. नहीं तो अगले जन्म में. सवाल तो सिर्फ विश्वास का है ना? आज मैं अपनी संघर्ष की कहानी लिख रही हूं. मेरा सच्चा प्यार, संघर्ष की किन-किन स्तरों से गुज़रा. मैंने उन सारी समस्याओं का, कैसे सामना किया. और सबसे बड़ी बात. क्या मैंने अपने प्यार को पालिया?
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