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भाग 1. वह छोटी सी लड़की.

20 दिसम्बर 2021

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14 फरवरी 2012. गुजरात अहमदाबाद.

मुझे अच्छी तरह से याद है. वैलेंटाइन डे का वह दिन

मैं उस दिन को कभी नहीं भूल सकती. उस दिन मेरे साथ इतनी भयानक घटना हुई थी, जिसका एहसास मुझे जिंदगी भर  रहेगा। 

दोपहर का समय था. धूप अपने आखिरी चरण पर पहुंच चुकी थी.

स्कूल की छुट्टी हो चली थी. मैं प्रीति के साथ स्कूल के गेट से बाहर निकल रही थी. प्रीति मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी. हम लोग संत कबीर स्कूल के स्टूडेंट थे. मैं सफेद रंग का शर्ट, और नीले रंग का स्कर्ट पहनी हुई थी. स्कूल बैग को साइकिल पर रखकर,  हम दोनों अपने घर की ओर चले जा रहे थे. अहमदाबाद की बड़ी-बड़ी सड़कें. और उस पर से धूप का रिफ्लेक्शन, मानों सड़क पर, हीरे बिछे हुए हो. हम दोनों एक दूसरे से बात करते हुए, उसी सड़क पर आगे बढ़े जा रहे थे. कुछ दूर प्रीति के साथ जाने पर, हम दोनों के रास्ते अलग हो गए. उसे देसाई मार्ग पर आगे बढ़ना था, और मुझे जोशी मार्ग से लाल दरवाजा पहुंचना था. जहां पर मेरा घर था. मैंने  उसे हाथ हिलाकर बाय कहा, और अपने रास्ते आगे बढ़ने लगी. साइकिल चलाते  हूे, मेरे मन में हजारों विचार का आक्रमण हो रहा था. मैं सोच रही थी. आज मैं जाकर अपनी मम्मी को बताऊँगी. कि हमारे स्कूल में ऐनुअल फ़ंक्शन होने वाला है. कितना मजा आएगा मुझे. कुछ दिन पढ़ाई से राहत मिल जाएगी. और दोस्तों से मिलने का मौका भी तो मिलेगा. मैं तो ज्यादा से ज्यादा समय, उन्हीं के साथ बिताऊंगी। मैं एसपी रोड पर तेज़ी से साइकिल चला रही थी. रास्ता थोड़ा सुनसान हो चला था. मैं मन ही मन थोड़ी सी घबरा रही थी. यूं तो मैं हर दिन स्कूल से घर जाती थी. पर आज किसी अनजान डर ने मेरे मन पर कब्जा कर लिया था. वह कहते हैं ना, कुछ अनहोनी होने से पहले, आपको उसकी अनुभूति होने लती है. मैंने अपनी साइकिल की हैंडल को जोर से पकड़ रखा था. यहां तो कोई नहीं है. अगर कोई आ गया तो? मैंने खुद से कहा. जल्दी से मैं नेहरू ब्रिज पहुंच जाती हूं. वहां से तो मेरा घर ज्यादा दूर नहीं है. यह सोचकर मैं और तेज़ी से साइकिल चलाने लगी. मुझे आने वाले खतरे का एहसास तो हो रहा था. लेकिन, बदकिस्मती से मैं कुछ कर नहीं पा रही थी.

करती भी कैसे. वह दिन तो, मेरी जिंदगी का सबसे भयानक दिन बनने वाला था. मैंने देखा. एक सफेद रंग की कार, बड़ी तेज़ी के साथ मेरी दाईं तरफ से निकल गई. गाड़ी में कुछ लड़के बैठे हुए थे. मैं सोचने लगी. कौन होगा, जो इतनी तेज़ी से कार चला रहा होगा? खैर मुझे क्या. जो भी हो. लेकिन यह क्या. कार तो कुछ दूर पर जा कर रुक गई. मैं सोच रही थी, कि वे लोग अपनी गाड़ी वहां पर क्यों रोके होंगे. क्या गाड़ी में कोई खराबी आ गई? आस पास कोई दुकान भी तो नहीं है, जिसकी वजह से, उन लोगों को गाड़ी रोकना पड़े. मैं घबरा गई. मैंने देखा, कि कार में 3 से चार लड़के बैठे हुए थे. साइकिल चलाते हुए, अब मैं कार के पास पहुंच चुकी थी. अब मुझे विचारों साफ दिखाई दे रहे थे. पर यह क्या? वह तो चारों के चारों, मेरी तरफ ही देखे जा रहे थे. थी तो मैं एक लड़की. वह भी सिर्फ 13 साल की. उनकी नजरें पहचानने की शक्ति, शायद भगवान से ही मुझे उपहार के रूप में मिली थी. मैं समझ गई थी की कुछ गड़बड़ है. अब डर  की वजह से, मेरे हाथ पैर कांपने लगे. धूप की गर्मी, अचानक से आग की तपिश ले चुकी थी. दिल की धड़कन, बहुत तेज़ी से धड़क रही थी. मैं अपनी मम्मी पापा को याद करने लगी. क्या करूं. इस परिस्थिति से कैसे बाहर निकलो. यह सोचती हुई, मैं उस रास्ते आगे बढ़ी जा रही थी. मैं जल्दी से निकल जाती हूं. लड़कों के देखने से क्या होता है? इस तरह से, मैं अपने मन को समझाने लगी.
 

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Bahut achha likha aapne 👏👏

20 दिसम्बर 2021

shekhar gupta

shekhar gupta

20 दिसम्बर 2021

प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद। आप लोग इसी तरह मेरा उत्साह बढ़ाते रहे।

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रचनाएँ
प्रेम की चरम सीमा.
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दोस्तों. आपने किसी ना किसी से तो प्यार अवश्य किया होगा. लेकिन, क्या आपका प्यार सच्चा है? आखिर सच्चा प्यार किसे कहते हैं. क्या प्यार एक शारीरिक संबंध तक पहुंचने का साधन मात्र है? या फिर दो आत्माओं का मिलन. जानना चाहेंगे? आपको क्या लगता है. कोई किसी से कितना प्यार कर सकता है. क्या प्यार की चरम सीमा होती है? अगर होती है तो, उसकी हद क्या है. क्या शादी ही प्यार की मंजिल होती है? या फिर उससे भी ज्यादा कुछ हो सकता है. कोई किसी को पाने के लिए, कितना ज्यादा संघर्ष कर सकता है. और सबसे बड़ी बात. इतनी संघर्ष के बाद भी, क्या वह उसे पा लेता है? आइए. इस किताब के माध्यम से, हम इन्हीं सवालों के जवाब खोजेंगे. दोस्तों. मैं अर्पिता. मैं गुजरात की रहने वाली हूं. वैसे तो, जब मैंने प्यार किया था तो, उस वक्त मेरी उम्र मात्र 13 साल थी. पर वह कहते हैं ना, अगर आपका प्यार सच्चा है तो, वह आपको एक ना एक दिन मिल ही जाता है. इस जन्म में. नहीं तो अगले जन्म में. सवाल तो सिर्फ विश्वास का है ना? आज मैं अपनी संघर्ष की कहानी लिख रही हूं. मेरा सच्चा प्यार, संघर्ष की किन-किन स्तरों से गुज़रा. मैंने उन सारी समस्याओं का, कैसे सामना किया. और सबसे बड़ी बात. क्या मैंने अपने प्यार को पालिया?
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भाग 1. वह छोटी सी लड़की.

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<p><strong>14 फरवरी 2012. गुजरात अहमदाबाद.</strong></p> <p><strong>मुझे अच्छी तरह से याद है. वैलेंटा

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भाग 2. किडनैपिंग.

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<p><strong>मैंने अपनी साइकिल की हैंडल दाईं तरफ घुमाई, और जाने लगी. तभी अचानक से, मैंने किसी की आवाज़

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भाग 3. बलात्कार.

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<h4><strong>वह मुझे घसीटता हुआ, एक कमरे में ले आया.</strong><strong> </strong><strong>अब मैं कुछ नही

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भाग 4. बचने की कोशिश.

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<p><em>मैंने उसके हाथ में वही लोहे का स्टिक देखा. मैं उसकी तरफ उम्मीद भरी नज़रों के साथ कहने ल

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भाग 5. हॉस्पिटल की परिस्थिति.

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<p><em>मैंने सोचा. इसे जल्दी से जल्दी हॉस्पिटल ले जाना होगा. अगर मैंने ऐसा नहीं किया तो, इसकी जान नह

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वह मेरा घर।

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<p><em> जब मैंने अपनी आंखें खोली तो,</em><em> </em><em>मैं हॉस्पिटल के बेड पर थी.</em><em> </em

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मेरा सपना।

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<p><em>मैं लगातार उस बाइक वाले के बारे में सोच रही थी. मैं उसके परिवार वालों को खबर करना चाहती थी. &

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वह परछाई।

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<p><em>मैं</em><em> </em><em>अपने कमरे में थी. तभी मैंने कुछ </em><em> </em><em>सुना.</em></p>

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पहला एहसास.

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<p><em>मैं बाइक वाले को लेकर बहुत परेशान थी. इतनी कोशिश के बाद भी, उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हो र

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पुलिस स्टेशन की जिल्लत.

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<p>उस दिन मैं मामा जी के साथ पुलिस स्टेशन जाने वाली थी.</p> <p>उन चारों के खिलाफ, रिपोर्

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वह पहली मुलाकात.

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<p><em>अगले दिन ही मैं मामा जी के साथ हॉस्पिटल जा पहुंची. </em><em> मुझे याद है. उस दिन म

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रात का डर.

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<p><em>मैं अपने कमरे में थी. रात हो चली थी. सभी लोग सो चुके थे.</em><em> </em><em>पर अचा

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करण की परेशानी.

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<p><em>मैं हॉस्पिटल जाने के लिए तैयार थी. इसी के साथ, मैं</em><em> </em><em>मामा जी के सामने आ गई.</

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मेरा नया जन्म.

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<p><em>मैं अपने कमरे में थी. रात हो चुकी थी. मैं करण की कही बातें याद करने लगी. </em></p> <p><e

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बदलाव का पहला दिन.

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<p><em>सुबह हो चुकी थी. पर मैं अंदर से बहुत ज्यादा डरी हुई थी. मैं सोचने लगी. करण ने मुझे छुआ

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प्यार का पहला एहसास.

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<p><em>मैं मन ही मन सोच रही थी. आज करण का व्यवहार मुझे अलग क्यों लग रहा था. क्या परेशानी होगा उसे. क

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करण को भूलने की कोशिश.

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<p><em>मैं लगातार करण के बारे में सोचें जा रही थी. मैं अपने कमरे के सामने वाली खिड़की पर खड़ी थी.</e

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