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भाग 2. किडनैपिंग.

20 दिसम्बर 2021

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मैंने अपनी साइकिल की हैंडल दाईं तरफ घुमाई, और जाने लगी. तभी अचानक से, मैंने किसी की आवाज़ सुनी. रुको. रुको. जरा रुको. मैंने पीछे मुड़कर देखा. यह वही लड़का था, जो कार में बैठकर, मेरी ओर देख रहा था. भूरे रंग का शर्ट, और काले रंग के जीन्स में, कुछ 25 26 साल का, मेरी तरफ तेज़ी से आ रहा था. मैं यह सोच रही थी, की उसने मुझे क्यों आवाज़ दी होगी. तभी उस लड़के ने मुझसे कहा. तुम कहां जा रही हो. मुझे अब डर लग रहा      था. मैंने उस लड़के से कहा. भैया आप ने मुझे क्यों रोका? मैं तो अपने घर जा रही हूं. घर जा रही हो? पर आगे तो रास्ता बंद है. उसकी बातें सुनकर, मुझे बहुत आश्चर्य हुआ.  क्यों? ऐसा क्या हो गया? तुम्हें पता नहीं? की आज सड़क का काम चल रहा है? आगे रास्ता खाली नहीं है.  मैं सोचने लगी. आज सुबह ही तो घर से स्कूल आई थी. अगर कोई सड़क का काम चल रहा होता तो, मुझे पता ज़रूर चलता. लेकिन मैंने तो ऐसा कुछ नहीं देखा था. मैंने उससे कह दिया. फिर भी मैं चली जाऊंगी भैया. पर जाओगी कैसे? मुझे एक और रास्ता पता है. जिससे तुम्हें उस रास्ते पर नहीं जाना होगा. अब मैं समझ चुकी थी, कि वह लड़का मुझे फंसा रहा है. नहीं, मैं खुद ही चली जाऊंगी. आप रहने दीजिए भैया. इतना कहकर, मैं साइकिल को आगे बढ़ाने लगी. तभी अचानक से, मुझे एहसास हुआ कि, मेरी साइकिल झटके से रुक गई. मैंने पीछे मुड़कर देखा. उस लड़के ने, मेरी साइकिल कि पिछले हिस्से को पकड़ रखा था. जब कह रहा हूं तो, बात क्यों नहीं मांती. हमारे साथ आओ. हम तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देंगे. नहीं भैया नहीं. मुझे जाने दो.  मैं अंदर से घबराई हुई थी।  उसने गुस्से से कहा. चुपचाप चलो. अभी तुरंत. यह कहकर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. क्या मैं किडनैप होने जा रही हूं? मैं सोचने लगी. लेकिन इतने में ही, वह मुझे साइकिल से नीचे खींचने लगा. मैं अब समझ गई थी कि, मेरे साथ कुछ होने वाला है.  मैंने कहा।  देखो. मैं चिल्लाऊँगी. मुझे जाने दो. लेकिन मेरी बातों का उस पर कोई असर नहीं हो रहा था. मैं समझ गई थी कि, वह मुझे उठाकर, कहीं ले जाना चाहता है. अब मैं जोर जोर से चिल्लाने लगी. इससे पहले की मेरी आवाज़ कोई भी सुन पाता, उसने मेरे मुंह पर अपना हाथ रख दिया. और झटके से मुझे खींचने लगा. उस भयानक घटना की शुरुआत हो चुकी थी. मेरी साइकिल और स्कूल बैग ज़मीन पर गिर पड़े. वह मुझे घसीटता हुआ, कार की तरफ ले जाने लगा. मैं पूरी फुर्ती के साथ अपने हाथ पैर चला कर निकलने की कोशिश कर रही थी. पर, मैं उस लड़के के जाल में फंस चुकी थी. जल्दी हीं, उसने मुझे कार के अंदर, धक्का देकर बैठा दिया. चलो जल्दी करो. इससे पहले कि कोई भी इस लड़की को देख ले, हमें तुरंत यहां से निकलना चाहिए. यह कहकर, वह कार की पिछली सीट पर बैठ गया. दरवाज़े बंद होने की आवाज़ के साथ ही, गाड़ी अपने पूरे रफ्तार से सड़क पर दौड़ पड़ी. मैं किडनैप हो चुकी थी. मुझे परिस्थिति पर यकीन ही नहीं हो रहा था. मेरी साँसे बहुत तेज चल रही थी. मैं एक पल के लिए भी स्थिर नहीं थी. मैं मन ही मन भगवान को याद कर रही थी. उस वक्त तो मुझे पता ही नहीं चल रहा था, कि मैं इस परिस्थिति से कैसे निकलों. मैंने देखा. कार में 3 लड़के और बैठे हुए थे. मैं घबराई हुई, लगातार हाथ पैर मार कर,  खुद को आज़ाद करने की कोशिश करती जा रही थी.  पर उसने मेरा दोनों हाथ, कस कर  पकड़ लिया था. उसने मुझसे कड़क आवाज़ में कहा. चुपचाप बैठी रहो. वरना मैं तुम्हें जान से मार दूँगा. मैं यह सुनकर, और भी तेज़ी से हाथ पैर चलाने लगी. यह देख कर, उन लोगों ने मुझे मारना शुरू कर दिया. और मुझे कस कर पकड़ लिया. मैं अब पूरी तरह उनके कब्ज़े में थी. मैं लगातार उनके चंगुल से निकलने की कोशिश तो ज़रूर कर रही थी, लेकिन, अब मैं हाथ पैर चलाने में असमर्थ थी. मैं यह सब देख कर, घबराई हुई थी. अब मैं रोती हुई, उन लड़कों से मुझे छोड़ देने की विनती करने लगी. मुझे याद है. मैं तो ठीक तरह से बोल भी नहीं पा रही थी. लेकिन उन चारों लड़कों पर, मेरी विनती का कोई असर नहीं हो रहा था. तभी मेरे आगे बैठे लड़के ने, पीछे तरफ देखते हुए कहा. यार रवि. तू ने तो इसकी सारी हेकड़ी निकाल दी. यह सुनकर, पीछे बैठे हुए दोनों लड़के हंस पड़े.  सही कहा कल्लू भाई. वैसे आज ताज़ा माल मिला है. क्या कहते हो. दारू का इंतज़ाम किया जाए?  यह सुनकर कल्लू ने कहा. तू-ने तो मेरी मुंह की बात छीन ली रवि भाई. सच में. आज रात में बहुत मजा आने वाला है. चलो अच्छी बात है. पर यार रवि, हम लोग जाएंगे कहां? पास के फार्म हाउस पर चलते हैं. वहां कोई आता जाता भी नहीं. आराम से इसके साथ मजे करेंगे. रवि ने कहा. अब मैं समझ रही थी. कि मुझे किडनैप क्यों किया गया है. मैं मन ही मन सोचने लगी. क्या मेरा बलात्कार होने वाला है? यह सोचकर ही, मैं अंदर से कांप गई थी. मैं रोने लगी. मुझे छोड़ दो. मुझे घर जाने दो. मेरे मम्मी पापा मेरा इंतजार कर रहे होंगे. प्लीज भैया. मुझे जाने दो. यह सुनकर, रवि हँसने लगा. उसने मेरी बाल पकड़ते हुए कहा. छोड़ देंगे.  पहले हम सब तेरे साथ सुहाग रात तो मना ले? तभी   कल्लू ने कहा. ड्राइवर साहब. आप क्यों चुप हो. कुछ कहोगे नहीं? क्या आपको मजे नहीं करना. ड्राइवर ने कहा. मैंने क्या कोई पाप किया है? तुम लोग मजे करो, मैं क्यों पीछे रहूँ. कल्लू ने कहा. इतनी ताज़ा मछली फँसी है. मुझसे तो कंट्रोल नहीं हो रहा. ड्राइवर ने कहा. इसीलिए तो मैं जल्दी-जल्दी गाड़ी चला रहा हूं. मुझे क्या कंट्रोल हो रहा है? बिल्कुल नहीं. रवि ने कहा. तुम लोग तो मुफ्त की मछली खाओगे. पकड़ी तो मैंने है भाई. अगर किसी ने देखा भी होगा तो, मुझे देखा होगा. इस हिसाब से, सारा रिस्क तो मेरा हुआ ना? इसीलिए, सबसे पहले मैं इस लड़की के साथ मजे लूंगा. उसके बाद, तुम लोग आना. बलात्कार. एक ऐसा अपराध, जिसमें सिर्फ शरीर ही नहीं, बल्कि आत्मा भी घायल हो जाता है.  आज वही घटना, मेरे साथ होने जा रहा था. मुझे उनके इरादों का पता चल चुका था. ोमैंने सोच लिया था. अगर मैं इनके चंगुल से निकलने की कोशिश नहीं करूंगी तो, आज मेरा बलात्कार होकर रहेगा. मैं मन ही मन भगवान को याद करने लगी. और अपनी पूरी फुर्ती के साथ, झटके से अपना हाथ रवि के हाथ से छुड़ा लिया. मैं कार के दरवाज़े को खोलने की कोशिश करने लगी.  पर,भगवान को कुछ और ही मंजूर था. इससे पहले कि मैं दरवाज़े को खोल पाती, रवि ने मेरी बाल को खींच कर, मेरे मुंह पर जोर का चोट किया. मैं बहुत जोर से चिल्लाई. और दरवाज़े के हैंडल पर से, मेरी पकड़  ढीली पड़ गई. रवि ने मेरा दोनों हाथ  पकड़ लिया. अब मैं हिल भी नहीं पा रही थी.  मैं सोचने लगी. भगवान, यह मेरे साथ क्या हो रहा है. तभी मैंने, अपने कपड़ों पर कुछ गीलापन महसूस किया. मैं खुद से सवाल करने लगी. यह क्या है? यह तो खून है. मैं अब पूरी तरह शिथिल पड़ चुकी थी.  रामू ने मेरी तरफ देखते हुए बोला. अरे यार यह क्या कर दिया तू ने. लड़की के मुंह से बहुत ज्यादा खून निकल रहा है. अगर इसे कुछ हो गया तो, हम मजे भी नहीं कर पाएंगे. रवि ने कहा. साली के साथ सही हो रहा है. बहुत छटपटा रही थी यह मछली. इसे काबू में लाना जरूरी था. कल्लू ने मेरी ओर देखा. भाई इसका कुछ कर. नहीं तो ऐसा ना हो कि, अभी ही इसे कुछ हो जाए. मुझे तो बहुत डर लग रहा है. रवि ने कहा. क्यों बे साले. तेरी फट गई? डर मत. कुछ नहीं होगा. रामू ने कहा. अरे कल्लू, तेरी तो अभी से हवा टाइट हो गई. तू क्या डर गया? कल्लू ने कहा. मैं नहीं डरता. तुम लोग कोई ना कोई रास्ता तो ज़रूर निकाल लोगे. मैं फूट फूट कर रो रही थी. और उन चारों से मुझे छोड़ देने की विनती कर रही थी. तभी मैंने ड्राइवर की आवाज़ सुनी. एक लाल कलर की बाइक,  हमारे कार के पीछे आ रही है. मैं इसे बहुत देर से देख रहा हूं. यह सुनकर, रवि ने पीछे देखा. कौन है बे साला. कल्लू ने कहा. कहीं यह हमारा पीछा तो नहीं कर रहा? रवि ने कहा. यार जब मैंने इस लड़की को पकड़ा था तो, वहां पर कोई नहीं था. तो फिर किसी को कैसे पता चलेगा. ड्राइवर साहब, गाड़ी जल्दी चलाओ. जितनी जल्दी पहुँचेंगे, उतना जल्दी खतरा कम होगा. ड्राइवर ने कहा. भाई मुझे लग रहा है कि, यह आदमी इस कार का पीछा कर रहा है. रवि ने कहा. बाई तरफ मोड़. बाई तरफ. वहां से फार्म हाउस की तरफ निकल जाएंगे. मेरी हालत बुरी होती जा रही थी. मैं लगातार भगवान से यही दुआ कर रही थी कि, किसी तरह मैं निकल भागों. और उन दोनों लड़कों के चंगुल से आज़ाद हो जाँऊ. ड्राइवर ने रवि की बात मानते हुए, गाड़ी को बाईं तरफ घुमाया, और एक पतली संकरी रास्ते पर ले गया. अब उसने अपनी दाईं तरफ लगी आईने पर देखा. भाई लोग,   मैं पूरी तरह कंफर्म कर रहा हूं. यह आदमी हमारा पीछा कर रहा है. उसकी बात सुनकर, रामू भी पीछे की तरफ देखने लगा. हां यार, मुझे भी ऐसा ही लग रहा है. यह सब सुनकर, मेरी थोड़ी घबराहट कम हुई. मैं लगातार भगवान से मना रही थी, कि कोई आ जाए, और मुझे इनके चंगुल से आज़ाद कर दे. रवि पीछे की तरफ देखते हुए बोला. और तेज़ी से गाड़ी चलाओ. यह बाइक हमारे बहुत नजदीक पहुंच रहा है. ड्राइवर ने कहा. और तेज़ी से गाड़ी नहीं चला सकता हूं. यह रास्ता बहुत खराब है.  अब बाइक वा

ला उस कार के और नजदीक आ चुका था.  रामू ने कहा. अरे कल्लू? चल. जरा इस बाइक वाले को ठिकाने लगाते हैं. कौन है बे साला. जो हमारा पीछा कर रहा है? कल्लू ने कहा. यार बीच रास्ते में झमेला करने की क्या जरूरत है. इसको जहां पीछा करना है करने दो. फार्म हाउस के पास पहुंच कर, इसे भी ठिकाने लगा देंगे. और किसी को पता भी नहीं चलेगा. यह सुनकर, रवि बोला. हां बिल्कुल सही कह रहा है भाई. ड्राइवर, आप निश्चिंत होकर गाड़ी चलाओ. और हमें फार्म हाउस तक पहुंचा दो. ड्राइवर ने कहा. बस और 5 मिनट के अंदर, हम लोग अपनी जगह पर पहुंच जाएंगे. यह सुनकर, मैं बहुत घबरा गई. मैं उससे मुझे छोड़ देने की विनती करने लगी. रवि पर मेरी बातों का कोई असर नहीं हो रहा था. अभी उसका सारा ध्यान, उस बाइक वाले पर था. कुछ देर बाद. ड्राइवर ने कहा. भाई लोग हमारा फार्म हाउस आ गया. रवि ने कहा. जल्दी से गाड़ी दाईं तरफ ले. भाई वह अभी भी हमारे पीछे आ रहा है. अंदर ले गाड़ी को. और इसी के साथ गाड़ी एक गेट के अंदर चली गई. ड्राइवर ने कुछ दूर जाकर गाड़ी रोक दी. तभी मैंने देखा. बाइक वाला गाड़ी की तरफ आ रहा था. मैं मौके की तलाश में थी.   रवि ने कहा. कल्लू तू एक काम कर. इस बाइक वाले को ठिकाने लगा. तब तक हम लोग लड़की को लेकर अंदर जाते हैं. कल्लू तुरंत ही, कार का दरवाज़ा खोल कर बाहर निकल गया. मैं भी इंतजार में थी. रवि ने जैसे ही कार का दरवाज़ा खोला, मैं फिर से पूरी फुर्ती के साथ, अपने आप को आज़ाद कराने की कोशिश करने लगी. मैं जोर-जोर से हाथ पैर चलाने लगी. और बचाओ. बचाओ. ऐसा कहकर चिल्लाने लगी. तभी अचानक से, किसी लड़के की चिल्लाने की आवाज़ आई. रवि ने कहा. अरे रामू? यह तो कल्लू की आवाज़ है ना? कुछ परेशानी हो गई है क्या? जरा देख. क्या हुआ है. इसी बीच, वह मेरा हाथ पकड़ कर, झटके से मुझे कार से बाहर खींच लिया. मैं जोर से चिल्ला रही थी. मुझे उम्मीद था, कि मेरी आवाज़ सुनकर, कोई ना कोई तो आ जाएगा. लेकिन, मेरी चिल्लाने का कोई असर नहीं हो रहा था. वह मेरा दोनों हाथ पकड़ कर, मुझे घसीटता हुआ गेट के अंदर ले जाने लगा. मैं अपने आप को आज़ाद कराने की पूरी कोशिश कर रही थी.  पर मेरी किस्मत ही खराब थी. मैं लाख कोशिश करने के बावजूद, उसके चंगुल से नहीं निकल पा रही थी.
 

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रचनाएँ
प्रेम की चरम सीमा.
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दोस्तों. आपने किसी ना किसी से तो प्यार अवश्य किया होगा. लेकिन, क्या आपका प्यार सच्चा है? आखिर सच्चा प्यार किसे कहते हैं. क्या प्यार एक शारीरिक संबंध तक पहुंचने का साधन मात्र है? या फिर दो आत्माओं का मिलन. जानना चाहेंगे? आपको क्या लगता है. कोई किसी से कितना प्यार कर सकता है. क्या प्यार की चरम सीमा होती है? अगर होती है तो, उसकी हद क्या है. क्या शादी ही प्यार की मंजिल होती है? या फिर उससे भी ज्यादा कुछ हो सकता है. कोई किसी को पाने के लिए, कितना ज्यादा संघर्ष कर सकता है. और सबसे बड़ी बात. इतनी संघर्ष के बाद भी, क्या वह उसे पा लेता है? आइए. इस किताब के माध्यम से, हम इन्हीं सवालों के जवाब खोजेंगे. दोस्तों. मैं अर्पिता. मैं गुजरात की रहने वाली हूं. वैसे तो, जब मैंने प्यार किया था तो, उस वक्त मेरी उम्र मात्र 13 साल थी. पर वह कहते हैं ना, अगर आपका प्यार सच्चा है तो, वह आपको एक ना एक दिन मिल ही जाता है. इस जन्म में. नहीं तो अगले जन्म में. सवाल तो सिर्फ विश्वास का है ना? आज मैं अपनी संघर्ष की कहानी लिख रही हूं. मेरा सच्चा प्यार, संघर्ष की किन-किन स्तरों से गुज़रा. मैंने उन सारी समस्याओं का, कैसे सामना किया. और सबसे बड़ी बात. क्या मैंने अपने प्यार को पालिया?
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भाग 1. वह छोटी सी लड़की.

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<p><strong>14 फरवरी 2012. गुजरात अहमदाबाद.</strong></p> <p><strong>मुझे अच्छी तरह से याद है. वैलेंटा

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भाग 2. किडनैपिंग.

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<p><strong>मैंने अपनी साइकिल की हैंडल दाईं तरफ घुमाई, और जाने लगी. तभी अचानक से, मैंने किसी की आवाज़

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भाग 3. बलात्कार.

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<h4><strong>वह मुझे घसीटता हुआ, एक कमरे में ले आया.</strong><strong> </strong><strong>अब मैं कुछ नही

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भाग 4. बचने की कोशिश.

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<p><em>मैंने उसके हाथ में वही लोहे का स्टिक देखा. मैं उसकी तरफ उम्मीद भरी नज़रों के साथ कहने ल

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भाग 5. हॉस्पिटल की परिस्थिति.

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<p><em>मैंने सोचा. इसे जल्दी से जल्दी हॉस्पिटल ले जाना होगा. अगर मैंने ऐसा नहीं किया तो, इसकी जान नह

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वह मेरा घर।

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<p><em> जब मैंने अपनी आंखें खोली तो,</em><em> </em><em>मैं हॉस्पिटल के बेड पर थी.</em><em> </em

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मेरा सपना।

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<p><em>मैं लगातार उस बाइक वाले के बारे में सोच रही थी. मैं उसके परिवार वालों को खबर करना चाहती थी. &

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वह परछाई।

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<p><em>मैं</em><em> </em><em>अपने कमरे में थी. तभी मैंने कुछ </em><em> </em><em>सुना.</em></p>

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पहला एहसास.

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<p><em>मैं बाइक वाले को लेकर बहुत परेशान थी. इतनी कोशिश के बाद भी, उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हो र

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पुलिस स्टेशन की जिल्लत.

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<p>उस दिन मैं मामा जी के साथ पुलिस स्टेशन जाने वाली थी.</p> <p>उन चारों के खिलाफ, रिपोर्

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वह पहली मुलाकात.

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<p><em>अगले दिन ही मैं मामा जी के साथ हॉस्पिटल जा पहुंची. </em><em> मुझे याद है. उस दिन म

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रात का डर.

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<p><em>मैं अपने कमरे में थी. रात हो चली थी. सभी लोग सो चुके थे.</em><em> </em><em>पर अचा

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करण की परेशानी.

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<p><em>मैं हॉस्पिटल जाने के लिए तैयार थी. इसी के साथ, मैं</em><em> </em><em>मामा जी के सामने आ गई.</

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मेरा नया जन्म.

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<p><em>मैं अपने कमरे में थी. रात हो चुकी थी. मैं करण की कही बातें याद करने लगी. </em></p> <p><e

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बदलाव का पहला दिन.

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<p><em>सुबह हो चुकी थी. पर मैं अंदर से बहुत ज्यादा डरी हुई थी. मैं सोचने लगी. करण ने मुझे छुआ

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प्यार का पहला एहसास.

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<p><em>मैं मन ही मन सोच रही थी. आज करण का व्यवहार मुझे अलग क्यों लग रहा था. क्या परेशानी होगा उसे. क

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करण को भूलने की कोशिश.

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<p><em>मैं लगातार करण के बारे में सोचें जा रही थी. मैं अपने कमरे के सामने वाली खिड़की पर खड़ी थी.</e

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