19 मई 2022
है तपन है बढ़ी जल रहा है शहर,धुएं की चादर ओढ़कर जल रहा है शहर।अब परिंदे भी तो जाएं किधर ?दरख्तों में अब न रहा है बसर।उड़ गयी तितिलियाँ अब बगानों से,अब मचा है तो देखो ,कहर ही कहर।दरख्तों में अब पड़ गयी दरा