Kalyani Tiwari
कहानी कविता पढ़ना लिखना शौक है, अक्सर कविता शायरी लिखती हूँ।
प्रेम
मैं प्रेम में हूँ या मुझमें ही प्रेम है क्या तुम बता सकते हो किसमे प्रेम है चारो तरफ प्रेम मय जगत के मैं तन्मयता से तन्मय हूँ हाँ प्रेम मेरे भीतर ही बहता है इतर उतर पता नही किधर मगर कुछ तो है मेरे भीतर पिघलता है जमता है फिर बह जाता ममत्वय से कुछ पान
प्रेम
मैं प्रेम में हूँ या मुझमें ही प्रेम है क्या तुम बता सकते हो किसमे प्रेम है चारो तरफ प्रेम मय जगत के मैं तन्मयता से तन्मय हूँ हाँ प्रेम मेरे भीतर ही बहता है इतर उतर पता नही किधर मगर कुछ तो है मेरे भीतर पिघलता है जमता है फिर बह जाता ममत्वय से कुछ पान
मेरा शहर
मेरा शहर जैसा नाम से विदित है,यह मैं अपने शहर के विषय में छोटी सी सी छोटी बात कविता के माध्यम से व्यक्त करना चाहती हूं बचपन से जुड़ी यादों का शहर,यौवन की दहलीज पर कदम रखते खुद में सिमट जाने का शहर,वास्तव में देखा जाये तो बहुत कुछ समेत रखा है। शाहर न
मेरा शहर
मेरा शहर जैसा नाम से विदित है,यह मैं अपने शहर के विषय में छोटी सी सी छोटी बात कविता के माध्यम से व्यक्त करना चाहती हूं बचपन से जुड़ी यादों का शहर,यौवन की दहलीज पर कदम रखते खुद में सिमट जाने का शहर,वास्तव में देखा जाये तो बहुत कुछ समेत रखा है। शाहर न