प्रणाम मित्रों मैने देखा है कि मकरसंक्रान्ति के उपलक्ष्य में हमारे भाई बन्धु जगह -2 खिचडी भोज का आयोजन करके पुण्य कमा रहे हैं (या राजनीति चमका रहे हैं), पुण्य काम करना गलत नही है परंतु इस पुण्य के साथ अधर्म या पाप करने से बचने के लिये भी तो सोचना चाहिये!
खिचडी, हलुआ-पूडी या चाय आदि बाँटकर हम पुण्य तो करते हैं परंतु उस प्रसाद को खाने के बाद प्लास्टिक के दोने जो सड़कों पर फैला दिये जाते है उस गंदगी को खाकर गाय आदि पशु जब खाकर बीमार होते हैं या उन्हे जलाकर पर्यावरण को जो नुकसान होता है . . . . . #क्या_ये_पाप_नहीं_है?
क्या इस तरह के आयोजन करते समय हमें इस बात का ध्यान नहीं रखना चाहिये की गंदगी सड़कों पर ना फैले ? अपनी राय जरूर दें . . एस0बी0 सिंह (पर्यावरण चिन्तक/सहा0 अध्यापक,प्राथमिक विद्यालय)