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पदमश्री पुरस्कार २०१५

28 जनवरी 2015

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मित्रों, इस वर्ष के पदम पुरस्कारों की घोषणा की जा चुकी है. इस वर्ष श्री ज्ञान चतुर्वेदी जी को पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.संयोग की बात है की अभी २५.०१.२०१४ को ही मैंने श्री ज्ञान चतुर्वेदी जी के वयंगय उपन्यास " बारामासी" को पढ़ा . यह उपन्यास बुंदेलखंड के लोक जीवन की मनोरम झांकी प्रस्तुत करता है . इस उपन्यास को पढ़ते समय मुझे ऐसा प्रतीत हुआ मानो मैं बुंदेलखंड के एक कस्बे अलीपुरा के चौराहे पर खड़ा हूँ और सारी घटनाएँ मेरी आँखों के सामने घटित हो रही हैं.उपन्यास की भाषा शैली बुंदेलखंड में होने का अहसास कराती है. अपन्यास के पात्रों के माध्यम से श्री ज्ञान चतुर्वेदी जी ने बुंदेलखंड के उस काल के हर आयु वर्ग के स्त्री पुरुष की भावनाओं का बड़ा ही सटीक चित्रण किया है . ऐसी कृति के लिए श्री चतुर्वेदी जी सचमुच बधाई के पात्र हैं और पदमश्री सम्मान उनकी प्रतिष्ठा में श्रीवृद्धि यही मेरी कामना है.
संजीव कुमार सक्सेना

संजीव कुमार सक्सेना

प्रिय मित्र, आपने जिस रचना का उल्लेख किया है वह निश्चय ही हास्य उपन्यासों की श्रेणी में एक अद्वितीय कृति है जिसको पढ़कर किसी भी व्यक्ति को अपनी निरंतर हंसी को रोक पाना कठिन प्रतीत होगा.पुरे उपन्यास में पत्रों, घटनाओं एवं परिस्थितियों का ऐसा तन-बना बना गया है जो कथानक के प्रवाह को पंक्ति दर पंक्ति रोचक बनाये रखता है. इस रचना पर यदि चलचित्र या धारावाहिक बनाया जाये तो वह बहुत लोकप्रिय हो सकता है. आपके ही नामराशि लेखक श्री ज्ञान चतुर्वेदी इस कृति के लिए बधाई के पत्र हैं. हिंदी साहित्य में व्यंग्य की धारा को प्रवाहित एवं संवर्धित करने में उनके योगदान को देखते हुए , उन्हें पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना जाना पूरी तरह उपयुक्त है.

28 जनवरी 2015

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