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रास्ता

3 फरवरी 2024

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चलिए मिलता हूं मैं आपको ऐसे व्यक्ति के साथ जिसकी किस्मत उसका कभी साथ नहीं देती थी वह जो भी काम करता सब में असफलता उसके पास आती है बहुत आगे बढ़ने का प्रयास करता पर हर बार असफल हो जाता पर वह हिम्मत नहीं हारता कोशिश करता रहता उसे लिखने का बहुत शौक हैं जब भी वह फ्री होता कुछ ना कुछ लिखता रहता हैं लिखना उसका शौक नहीं उसकी आदत बनता चला गया वह कहानी लिखने लगा लोगों के जीवन पर कविताएं लिखने लगा थोड़ा-थोड़ा करके लोगों को अपनी कविताएं सुनने लगा। वह हमेशा यथार्थ की कविताएं लिखता पर उसकी कविता को सुनने वाला कोई नहीं था बहुत प्रयास करता लोगों से कहता पर कोई सुनाने के लिए तैयार नहीं होता। पर वह धुन का पक्का है। उसके घर के हालात भी ठीक नहीं हैं उसके सब लोग उसे नकारा बेकार समझते हैं मैं किसी से कुछ कह भी नहीं पाता। क्योंकि किसी से कुछ कहने के लिए उसका खुद का भी वजूद होना जरूरी है। यदि उसका खुद का कोई वजूद नहीं होगा तो लोग उसकी बात को नहीं सुनेंगे। इस तरह में सब का विश्वास होता जा रहा हैं । वह अपने दिल की बात कहता भी किससे क्योंकि लोगों के पास सुनाने के लिए दिल नहीं हैं। जब वह गली मोहल्ले से निकाल कर जाता बस सर झुका कर ही निकलता सर उठा के इसलिए नहीं चलता हैं। कहीं लोग नजर मिलाकर यह न पूछ ले और कैसे हो क्या चल रहा है। वही तुम्हारा घिसा पीटा लिखने का काम। भीड़ में सवाल वह भी पूछते हैं जिन्होंने कलम को कभी हाथ नहीं लगाया सबको टांग खींचना मैं बड़ा मजा आता है। क्योंकि नाकामी उसकी पर सामने वाले का तमाशा है जो कहीं ना कहीं अपनी नाकामी को छुपा कर दूसरे को नाकाम बता रहा है। इसलिए नजर झुका कर अपने सीधे घर में चला जाता है। जितना भी वह काम कर लाता है घर के लोगों को देता है पर लोग संतोष नहीं होते हैं।कहते भी कुछ नहीं हैं पर इशारा तो नकारा होने का ही करते।
 जंग उसकी अपने आप से भी हैं झूठ उसकी रग रग में नहीं हैं इसलिए झूठ की दुनिया के काबिल नहीं है अंधकारों से रोज लड़ता एक उजाले की आस में शायद जिंदगी में कुछ बड़ा करना तो चाहता हैं पर शायद जिंदगी अपने और कड़वे रूप से दिखाना चाहती है एक दिन में अपने घर पर बैठा हुआ कुछ लिख रहा हैं उसे दिन उसके काम की छुट्टी है वह कविता लिख रहा है कुछ सपनों को पल रहा है तभी उसके फोन पर एक फोन आता है वह अपने फोन को निकलता है उधर से आवाज आती है:" आपका नंबर किसी ने दिया है कल हमारे शहर में एक काव्य पाठ है आप आ जाए और अपनी कविता पाठ पढ़ जाए पर आपको आपका काव्य पाठ पढ़ाने का कोई मेहनताना नहीं दिया जाएगा" वह कहता है:" कोई बात नहीं काव्य पाठ करना मजदूरी करना नहीं है यह तो लोगों के दिलों में अपनी भावनाओं को पहुंचाना उनके चेहरे पर दुख सुख और हंसी लाने का काम है उनसे सुनकर जो तालियां मिलती है वही उसका मेहनताना होता हैं " उधर से आवाज आती है :"ठीक है आप सही 4 बजे आ जाना ' इतना कह कर फोन कट जाता है पहले काव्य पाठ पढ़ने की बात को सुनकर वह बहुत खुश होता हैं। फिर अपनी कविता लिखने में लग जाता है दूसरे दिन अपनी कविताओं का पिटारा लेकर अपने शहर से दूसरे शहर बस निकल जाता है दूसरे शहर में पहुंचने के बाद उसकी जेब में कम पैसे होने की वजह से वह वहां का रास्ता पूछता है लोगों से बताते हैं यहां से 15 किलोमीटर दूर है वह अपनी जेब में देखता है तो पैसे कम है अब मैं पास में बैठकर कुछ सोचने लग जाता हैं तभी ऑटो वाला आकर कवि से पूछने लगता है:" भाई साहब आपको कहीं जाना है क्या" कभी अपना उदास चेहरा से उसे ऑटो वाले को देखकर कहता है:" भाई साहब मुझे कवि सम्मेलन में जाना है पर मेरे पास ज्यादा पैसे नहीं है उन लोगों का कहना है कि वह यहां से 15 किलोमीटर दूर है इसलिए खड़ा होकर सोच रहा हूं कितने किलोमीटर तक पैदल चलूं" यह सुनकर ऑटो वाला हंसने लगता है और कहने लगता हैं :"भाई साहब आप इस शहर के नहीं है किसी और दूसरे शहर से आए हो क्या? " कवि अपने चेहरे पर उदासी लाकर कहता है :"हां भाई साहब मैं दूसरे शहर से आया हूं और पहली बार मुझे काव्य पाठ पढ़ाने का मौका मिला है मेरी आर्थिक की स्थिति भी इतनी सही नहीं कि मैं कोई टैक्सी किराए पर ले जाकर वहां तक पहुंच सकूं" यह सुनकर ऑटो वाला कहता है :"कोई बात नहीं भाई साहब मैं भी उधर ही जा रहा हूं अभी मेरे साथ पर चल सकते हैं आप जैसा इंसान मैंने देखा नहीं जो एकदम सच बोल देता है" कभी ऑटो वाले को देखकर कहता है :"भाई साहब मैं आपको इतने पैसे कहां से दूंगा" ये सुनकर ऑटो वाला कहता है :"भाई साहब आप पर जितने हैं उतने दे दीजिएगा " कवि आसमान की तरफ देखकर कहता है:" शायद अभी ऊपर वाले ने अपने कुछ बंदे जमीन पर छोड़ रखें हैं" कवि की बात सुनकर ऑटो वाला कहता है :"क्या कह रहे हैं भाई साहब आप "                     
कवि हंस कर कहता है :'भाई सब कुछ नहीं कह रहा हूं बस अपना दर्द ऊपर वाले से बया कर रहा हूं" कवि ऑटो वाले के ऑटो बैठ जाता है और अपनी मंजिल की ओर चलने लगता है दोनों में बातचीत का सिलसिला चालू हो जाता है ऑटो वाला भी अपने दर्द को बया करने लगता है उसकी बातों को कवि सुनने लगता है कवि ऑटो वाले से कहता है :"भाई साहब आपके कितने बच्चे हैं " ऑटो वाला कहता हैं :"मेरे पास चार बिटिया है" कवि यह सुनकर कहता है :"तो तुम बहुत हिम्मत वाले हो संसार के ओछी मानसिकता वालों के तानो को भी झेल रहे होंगे" ऑटो वाला मुस्कुरा कर कहता है:" आप सच में कवि हैं आपने मेरा पूरा दर्द कुछ शब्दों में ब्या कर दिया पर मैं किसी की परवाह नहीं करता हूं मैं अपनी चारों बेटियों को पढ़ रहा हूं मेरी बेटियां पढ़कर मेरा नाम रोशन कर रही हैं आज मैं बड़ी दुविधा में हूं" यह सुनकर कवि कहता है:" कौन सी दुविधा आ गई" यह सुनकर ऑटो वाला कहता है:" भाई साहब जब आपने मेरा दर्द पूछा है तो मुझे बहुत अच्छा लगा क्योंकि मैं अपने ऑटो में बैठकर लोगों की सुनता हूं कभी किसी ने मेरी नहीं सुनी मेरी बड़ी बेटी अच्छे पेपर को पास कर लिया है जिससे लोग डॉक्टर बनते हैं मैं तो कम पढ़ा लिखा हूं इसलिए ज्यादा नहीं जानता हूं मेरी बेटी दूसरे शहर पढ़ने जाएगी उसके रहने खाने पीने के खर्चे के लिए बहुत सारे पैसों की आवश्यकता पड़ेगी और मैं एक ऑटो चलाता हूं मेरी इतनी आय भी नहीं है कि इतनी सुविधा उसको दे सकूं" यह सुनकर कवि उदास होकर कहता है :"सच में तुम बहुत अच्छे व्यक्ति हो जो इतनी हिम्मत से अपनी बेटी को पढ़ाकर किसी लायक बना रहे हो चिंता मत करो ऊपर वाला तुम्हारा साथ जरूर देगा" यह सुनकर ऑटो वाले की आंखों में आंसू आ जाते हैं और कहता है:" जब मेरी बेटी में वह परीक्षा पास करी थी मेरी बेटी बहुत खुश हुई पापा मैं भी डॉक्टर बनकर आपका नाम रोशन करूंगी मुझे उसका बचपन याद आ गया जब बचपन में कहती कि मैं डॉक्टर बनूंगी तो मैं कहता मैं अपनी बेटी को डॉक्टरी कराने के लिए बहुत सारे पैसे कमा कर डॉक्टर बनाऊंगा आज महंगाई इतनी है उसकी फीस और उसके रहने खाने पीने का इंतजाम करें पैसा कहां से लाऊं मैंने अपनी बेटी से वादा भी कर दिया है 2 दिन से परेशान घूम रहा हूं लोगों से पैसा उधार मांग रहा हूं कोई अच्छे काम के लिए पैसे देने को तैयार नहीं है" कवि कहता हैं :" बहुत दुःख की बात हैं कितना रुपए लगभग खर्च हो जाएगा" ऑटो वाला कहता है :"कम से कम ₹300000 तो होने चाहिए" यह सुनकर कभी उदास होकर कहता है :"हर गरीब आदमी की कहीं ना कोई समस्या बनी रहती है एक गरीब एक फोड़े को ठीक करता है तो दूसरा तैयार हो जाता है ऐसे उसका जीवन संघर्ष में चला जाता है यदि मेरे पास पैसा होता तो सच कह रहा हूं मैं पैसा तुमको दे देता पर मैं भी खुद मजबूर हुँ " यह सुनकर ऑटो वाला कहता है:" इतना आपने कह दिया यह मेरे लिये बहुत बड़ी बात है मैं जानता हूं आप भी मेरी तरह ही संघर्ष शील गरीब व्यक्ति हो जो गरीब संघर्षशील व्यक्ति होता है उसका दिल बहुत बड़ा होता है" कवि कहता हैं :"मैं तो कभी सम्मेलन के लिए उधर जा रहा हूं पर आप उधर क्यों जा रहे हो" ऑटो वाला कहता है:" मुझे एक व्यक्ति ने बुलाया जाए कुछ पैसे उधार देने के लिए उसी के पास जा रहा हूं मैंने आपको खड़ा देखा तो मैंने सोचा कोई सवारी होगी यदि उधर जा रही होगी तो कुछ पैसे की इनकम भी कर लूंगा" कवि ने हंस कर कहा हैं :"ऊपर वाले ने सवारी तो भेजी पर पैसे वाली नहीं भेजी" कवि की बात सुनकर ऑटो वाला हंसने लगता है दोनों इसी तरह से बात करते-करते रास्ते में मंजिल तक पहुंच जाते हैं ऑटो वाला ऑटो को रोक कर कवि को नीचे उतर कर कहता है:" कवि साहब आपकी मंजिल आ गई है" कवि ऑटो वाले की तरफ देखकर कहता है :"बहुत-बहुत धन्यवाद मेरे भाई तुमने मुझे मैंने मंजिल तक पहुंचा दिया "
 कभी अपनी जेब से कुछ पैसे निकाल कर ऑटो वाले को देता है ऑटो वाला कहता है:" और एक ऐसी कोई आवश्यकता नहीं है कवि जी मैं तो इधर आ ही रहा था आपको ले आया" कवि ऑटो वाले से कहता है :"आप भी अपने आदमी को फोन कर लो जिसके पास पैसे के लिए आए हो" ऑटो वाला अपना मोबाइल निकालता है और फोन लगता है फिर से फोन लगता है बार-बार फोन लगता है चेहरे पर उदासी बढ़ने लगती है यह देखकर कवि ऑटो वाले की तरफ देखकर कहता है:" क्या बात है उसका नंबर नहीं लग रहा या मोबाइल बन्द जा रहा है" ऑटो वाला उदास होकर कहता है :"उसका नंबर बंद जा रहा है" कवि हंस कर कहता है :"जब बुरा समय होता है तो सबसे पहले जो खुद को आपका अपना कहते हैं वह सबसे पहले गायब हो जाते हैं " ये सुन कर ऑटो वाला कहता है :"सही कह रहे हो भाई साहब उनका मोबाइल बंद करने का मतलब है पैसा देना नहीं चाहते हैं पर कोई बात नहीं है मैं और कोशिश करूंगा" कवि ऑटो वाले से कहता है :"भाई साहब अगर एक बात कहूं बुरा ना लगे तो" ऑटो वाला कवि को देकर कहते हैं :"हां भाई साहब बोलो क्या कहना चाहते हैं" कवि ऑटो वाले से कहता है:" भाई साहब आपका पूरा दिन तो खराब हो ही गया है क्यों ना आप भी कवि सम्मेलन सुनकर जाएं फिर उसके बाद हम दोनों साथ-साथ चले जाएंगे और यदि मुझे इनाम में कुछ पैसे मिले तो मैं कुछ पैसे आपको दे दूंगा" ऑटो वाला हंसकर कहता है:" कवि साहब आपका बहुत-बहुत शुक्रिया मैं जानता हूं आपको कभी सम्मेलन में इनाम के रूप में तालियां ही मिलेगी तालियां से मेरी बेटी की फीस और खर्चे व्यवस्था नहीं हो पाएगी" कवि ऑटो वाले का हाथ पकड़ कर कहता हैं :" मैं जानता हूं भाई की कवि को केवल तालियां ही मिलती हैं पर मेरा दिल जाने क्यों ऐसा कहता है कि आप कविता सुनकर ही मेरे साथ वापस जाएं" यह सुनकर ऑटो वाला कहता है :"ठीक है कवि साहब मैं आपके कहने पर कविता सुनकर ही जाऊंगा किसी की मदद करो तो पूरी तरह से करो बीच रास्ते में नहीं छोड़ना चाहिए।लौटते में कोई आपको नहीं ले गया तो पैदल पैदल ही आएंगे क्योंकि सरकारी कोई बस उधर चलती नहीं है " यह कहकर ऑटो वाला कवि के साथ-साथ कवि सम्मेलन पर चला जाता है कवि, कवि पाठ पढ़ने के लिए मंच पर चला जाता है ऑटो वाला वही एक जगह कुर्सी पर बैठ जाता है सम्मेलन शुरू हो जाता है सब कवि धीरे-धीरे अपनी भी कविता पढ़ने लगते हैं अंत में ऑटो वाले के साथ आये कवि का नंबर आता है। कवि अपना कवि पाठ शुरू करता है
 और अपनी कविता को बोलना शुरू कर देता है उसका काव्य पाठ इनता अच्छा होता हैं सारी भीड़ उसकी कविता सुन कर बहुत खुश होती हैं और तालियां बजाती हैं कवि का उत्साह और बढ़ जाता हैं फिर वह एक कविता परिवार पर सुनता हैं उसकी कविता सुन कर सबकी आँखों से आंसू निकलने लगते हैं वह पर एक बिजनेसमैन भी बैठा था जो कविता सुन कर रोने लगता हैं जब कवि का काव्य पाठ पूरा होता हैं तो बिजनेसमैन अपने एक कर्मचारी को बुला कर एक चार लाख का एक चेक आयोजक के पास भेज देता ताकि वह चेक कवि को मिल जाये आयोजक कार्यक्रम के अंत में सबके सामने कवि का नाम लेकर कहता है:" कि शहर की बड़े बिजनेसमैन ने उसकी कविता की वजह से उसे ₹4 लाख रुपए में चेक दिया है हम चाहते हैं तालियां के साथ कवि अपना चेक स्वीकार करें कवि स्टेज पर आ करें अपने हाथ में चेक लेकर उसको गौर से देखता उसको देखकर उसकी आंखों में आंसू आ जाता है उसके आंसुओं को देखकर आयोजन कहता है:" हम सब समझ सकते हैं कि इतनी बड़ी रकम का चेक पहली बार किसी कवि को हमारे मंच से मिल रहा है पर सच में आपकी कविताएं बहुत ही अच्छी हैं किसी के भी दिल में अपनी जगह बना सकती है इतनी बड़ी रकम का चैक मिलने पर आपको कैसा महसूस हो रहा है" कवि आंखों में आंसू भरकर कहता है:" यह मेरे जीवन का सबसे यादगार लम्हा लोग मुझे और मेरी कविताओं को नकारा समझते थे सच में लिए साबित हो गया कि यदि आप मेहनत करो तो आपकी मेहनत जरुर रंग लाएगी इतनी बड़ी रकम का चेक मैंने पहली बार देखा जो मुझे किसी बिजनेसमैन ने मुझे प्रदान किया है मैं चाहता हूं का बिजनेस मैन जी मंच पर आ जाए तो उनकी बड़ी मेहरबानी होगी" भीड़ में बैठा ऑटो वाला यह दृश्य देखकर ताली बजा रहा है बिजनेसमैन अपनी जगह से उठकर मंच पर जाता है वह बिजनेसमैन कवि के गले लग जाता है कवि को बधाइयां देता है बिजनेस मैन कवि से कहता है:" मेरे जीवन की यह पहली कविता है जिसे सुनकर मेरी आंखों से आंसू आ गए मुझे मेरा पूरा परिवार याद आ गया तुम्हारी कविता सच को बताती है मैं तुम्हारे उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं" यह सुनकर कवि बिजनेसमैन से कहता है:" आपने मेरी कविता को सार्थक बनाया आपका बहुत-बहुत आभार पर मेरी आपसे एक विनती है आप मेरी विनती को स्वीकार करें " यह सुनकर बिजनेसमैन कवि की ओर देखकर कहता है :"बताइए आपकी क्या विनती है" कवि चेक को हाथ में लेकर कहता है:" भाई साहब मैं चाहता हूं यह चेक मेरे साथ आए हुए एक ऑटो वाले भाई को दे दिया जाए" यह सुनकर आयोजन चौक जाते हैं और आयोजक तुरंत कहता है:" कौन सा ऑटो वाला भाई है कौन है वह आपका" पूरी भीड़ भी चकित हो जाती है आखिरी ऑटो वाला कौन है कवि माइक पर कहने लगता है:" मैं कवि सम्मेलन के लिए आपके शहर में आया मेरी मदद ऑटो वाले भैया ने की जब मैं ऑटो वाले भैया से बातचीत की पता चला उनकी बेटी का एक अच्छे कॉलेज में एडमिशन हो गया है जहां से पढ़कर एक अच्छी डॉक्टर बनने की बनेगी उसके रहने खाने और किताबों का खर्चा लगभग ₹300000 आ रहा है जिसका पूरा इंतजाम करने के लिए ऑटो वाला बड़ा भैया परेशान है तुम्हें चाहता हूं यह चेक ऑटो वाले भैया को दे दिया जाए ताकि उसकी बेटी पढ़कर एक अच्छी डॉक्टर बने और सबका इलाज करके देश का नाम रोशन करें मैं मंच से ऑटो वाले भैया को आवाज लगता हूं मैं मंच पर आए" पूरी भीड़ चौक जाती है ऑटो वाला अपनी कुर्सी से उठकर रोने लगता है भीड़ उसको देखने लगती हैऑटो वाला रोते-रोते मंच पर पहुंचता है मंच पर पहुंच कर कवि के गले लग कर रोने लगता है इस दृश्य को देखकर पूरी भीड़ की आंखों में आंसू आ जाते हैं और ताली बजाने लगते हैं कवि चेक अपने हाथ से ऑटो वाले के हाथ में दे देता है आयोजकों और बिजनेसमैन दोनों मिलकर स्टेज पर ताली बजाने लगते हैं बिजनेसमैन माइक हाथ में लेकर कहने लगता है:" मैंने संसार में बहुत सारे लोग देखे हैं पर आज जो मैंने जो दृश्य देखा है ऐसा आज तक से पहले कभी किसी को नहीं देखा है " बिजनेसमैन कवि को अपने गले लगा लेता है और अपने गले में पड़ी हुई चैन कवि को पहनता देता हैं और बिजनेसमैन कवि से कहने लगता है :" अपने नाम का चेक ऑटो वाले को दे दिया यह तुम्हारा बड़प्पन है पर ये इनाम स्वीकार करो " कवि बहुत मना करता है पर बिजनेस में नहीं मानता है कवि सम्मेलन समाप्त हो जाता है आप अपने-अपने घर जाने लगते हैं आयोजक कवि से कहता है :"हम अपनी कार से आपको छुड़वा देते हैं" कवि हाथ जोड़ कर आयोजक से कहता है :"नहीं मैं ऑटो वाले भैया के साथ चला जाऊंगा" कवि ऑटो वाले के साथ चौराहे तक आ जाता है पूरे रास्ते ऑटो वाले की आंखों से आंसू बहते रहते हैं कवि बस में बैठने को होता है ऑटो वाला गले लग जाता है और कहता हैं :" मैं अजनबी दोस्त तुम्हारा कैसे शुक्रिया अदा करूं आपने इतनी बड़ी रकम का चेक मुझे दे दिया है" कवि हंस कर कहता हैं :"हम सब इंसान अपनी मेहनत से अपने रास्ते बनाने की पूरी कोशिश करते हैं पर किसकी मदद कैसे की जाये ये तो रास्ते ऊपर वाला बनाता हैं श्याद बेटी को काबिल बनने में जो बाधा आ रही थी उसका रास्ता ऊपर वाले ने इस तरह से बना दिया। अब मैं चलता हुँ फिर कभी मिलुंगा " कवि बस में बैठकर अपने शहर चला आता हैं और रात ज्यादा होने की बजाय से कवि सो जाता हैं जब सुबह उठता हैं तो घर का माहौल बदला बदला सा लग रहा हैं कवि समझ नहीं पाता फिर उसकी नजर अख़बार पर पड़ती हैं जो कल रात के कवि सम्मेलन की खबरों से भरा पड़ा। कवि चाय पीते पीते अपने गले से चैन को निकाल कर अपनी पत्नी को देता हैं चैन के वजन को हाथ में लेकर कहती हैं :" अरे यह चैन तो बहुत भारी ऐसा लगता है जैसे 8-10 लाख की होगी " यह सुनकर कवि चौक जाता हैं ऊपर देख कर कहता हैं :" यदि आप सच्चे मन से किसी की मदद करते हो तो ऊपर वाला आपको दोगुना देता हैं यह बात आज साबित हो गई" इतना करके कवि अपनी आंखों से आंसू पोंछने लगता है 



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