एक पिता अपने जीवन के सब सुनहरे पलो को छोड़ देता हैं अपने बच्चों को कामयाब बनता हैं और पिता की कीमत उससे पूछो जिसके पिता नहीं हैं
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अजय अपनी पत्नी के साथ बैठा हैं और उसके तीनों लड़के खेल रहें हैं. अजय अखवार पढ़ रहा हैं तभी अजय की पत्नी सरिता आ जाती हैं और चाय साथ लाती हैं &
अजय बैंक में बैठा हैं और बैंक मैनेजर का इंतजार कर रहा हैं और कुछ सोच रहा हैं  
अजय का लोन हो जाता है और अजय अपना मकान बनवा लेता है और उसके बच्चे बड़े हो गए हैं और बच्चे पढ़ लिख कर नौकरियों पर चढ़ गए हैं आज है उनकी शादी भी कर देता है सरिता का देहांत हो जाता है अजय बहुत दुखी
अजय अकेला बैठा है और बहुत दुखी हो रहा है अपने मन की बात किससे कहें अपनी अपनी पत्नी को बार-बार याद कर रहा है और आजकल की आधुनिक बच्चों को देख रहा है कि एक पिता ने अपना पूरा जीवन अपने बच्चों के लिए
अजय जंगल में पहाड़ के पास जाकर बैठ जाता है वहां बेड का सोचने लगता है कि आज मेरे जीवन का आखरी दिन है और इस संसार से विदाई ले लूंगा क्योंकि ऐसे जीवन किसी मतलब का नहीं है जिसमें उसकी औलाद उसे अपने घर में
अजय बैठ कर सोच रहा है तभी वहां पर एक कार रूकती है कार में से 28 साल की उम्र का एक लड़का जो शक्ल से बिजनेस में लग रहा है उतरता है और कार का दरवाजा खोलकर उसका ड्राइवर बाहर आ जाता है लड़का ड्राइवर से इशा
अजय शांत बैठा है फिर अचानक उठता है अजय पहाड़ की ओर जाने लगता है सोचता अब मैं आत्महत्या कर लेता हूं और अपनी जीवन से छुटकारा पा लेता हूं क्योंकि मेरा जीवन सबके लिए बेकार है और संहिता कुछ देर में मैं तुम
अजय की कहानी सुनकर ड्राइवर राजा की आंखों में आंसू आ जाते हैं राजा कहता हैं “सच में आपके बच्चों ने आपके साथ गलत किया है ऐसे बच्चों को नहीं करना चाहिए अपने पिता को इतना परेशान नहीं करना चाहिए “ ड्राइवर
बोलना शुरू करता कहता है “बाबूजी जब मैं छोटा था मेरी मां का देहांत हो गया मेरे पिता ने मां और बाप दोनों की जिम्मेदारी निभाई और मुझे हर प्रकार की सुविधाएं दी रात दिन मेहनत करके मेरे लिए कमाया और मुझे ला
बात करते-करते ड्राइवर कहता है” रात ज्यादा होती जा रही है घर चलना है” तभी अजय घड़ी देखता कहता है “हाँ बच्चों रात ज्यादा हो रही आप लोगों अपने घर चले जाओ मेरा क्या है मैं तो यहां बैठा रहूंगा”अजय कहता है