कैसे खुद को आजा़द कहूँ?
कैसे खुद को आजा़द कहूँ?मैं युगों से जीवित भारतवर्ष, मैं दीर्घकालिक आर्यावर्त हूँ आज पडा़ असमंजस में, कैसे खुद को आजा़द कहूँ?देखो मेरे इन पुत्रों को, देखो इनकी दुर्दशा हुई, कैसे मुरख बन बैठे हैं, खुद आपस में ही भिड़ते हैं, नाम,धरम, जाति खातिर, स्वयं की शान्ति हरते हैं |ना पढी़ होगी किसी ने भी रामायण,