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रक्षाबंधन का त्यौहार एक भाई और एक बहन के लिए बहुत ही खास होता है । ये एक ऐसा बंधन होता है , जिसमें एक भाई अपनी बहन की सुरक्षा का वचन देता है और उसे हर पल पूरा करने की कोशिश करता है ।
एक ऐसी ही कहानी मैं आप लोगों को सुनने जाने जा रहीं हूं , जिससे आप लोगों को लगेगा की , हां ! सच में इस रक्षा सूत्र के कुछ अपने ही खास अहसास और प्यार होता है ।
एक मिडिल क्लास में पल रही लड़की रेणुका बहुत सारी मुसीबतें , परेशानियां देखती है , लेकिन उसे इन सब बातों से कोई दुख नहीं होता था । उसे अगर दुख होता तो इस बात का की उसका भी कोई सगा भाई होता , जिसे वो राखी बांधती ?
राखी का दिन था । सब बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं , लेकिन रेणुका का कोई भाई नहीं था , वो तो अकेली ही रहती थी । उसके आस - पड़ोस के लोग रेणुका से बहुत जलते थे ।
राखी के दिन सुबह रेणुका बाजार जा रही होती है , तभी रेणुका को एक लड़का बहुत ध्यान से देखता है । वो लड़का रेणुका की खूबसूरती पर न्योछावर हो जाता है ।
रेणुका बाजार में एक मंदिर के पास जाकर रोने लगती है । तभी अचानक किसी के बोलने की आवाज आती है ।
" क्यों रो रही हो बहन " उस तेजस्वी इंसान ने रेणुका से कहा ।
मेरा कोई भाई नहीं है और आज रक्षा बंधन है । मेरा भी मन करता है की मैं भी अपने भाई के कलाई पर राखी पर बंधूंगी ? लेकिन मैं तो अकेली हूं और मेरा कोई भाई भी नहीं है ।
तभी उस तेजोमय इंसान ने उससे राखी लेकर बांधने को कहा । रेणुका भी बिलकुल चुप होकर खुश हों जाती है और राखी खरीदने लगती है ।
इतना कहकर रेणुका मुस्कुराते हुए बाजार से राखी लेकर आती है और अपने घर में जाकर इस बात को लेकर खुश होती है और मुस्कुराने लगाती है कि आज उसे भी राखी का अनोखा बंधन अपने मुंह बोले भाई को बांधने का अवसर मिल रहा है ।
रेणुका से कई लोग पूछते हैं की तुम्हारा कोई भाई भी नहीं है और तुम ये राखी और मिठाई किसके लिए लाई हो ?
सब लोग रेणुका का मजाक उड़ाने लगते हैं । रेणुका उन लोगों की बातों को सुनकर बहुत दुखी हो जाती है , लेकिन उसे अपने मुंह बोले भाई को राखी बांधना था इसीलिए वो उन लोगों की बातों को नजर अंदाज कर देती है और मुस्कुराते हुए वहां से मंदिर की तरफ जाने लगती है ।
रेणुका मंदिर में पहुंचने पर जो देखती है , उसे देखकर वो बिल्कुल आश्चर्यचकित हो जाती है ।
रेणुका आश्चर्यचकित होकर , " अरे ! यहां का नजारा तो बिलकुल बदल गया है । कल तक ये मंदिर विरान पड़ा था और आज ये इतना अद्भुत लग रहा है जैसे भगवान ने खुद अपने आशियाने को चमकाया हो ? "
रेणुका मंदिर का भव्य दृश्य देख रही होती है , तभी उसे पीछे से कुछ आवाज सुनाई देती है - " अरे मेरी बहन तुम आ गई ? आओ जल्दी से मेरी सुनी कलाई में राखी का पवित्र बंधन बांधों ? "
रेणुका ने मुस्कुराते हुए कहा , " भाई ! आज ये मंदिर कितना भव्य लग रहा है ? "
रेणुका के मुंह बोले भाई ने कहा , " तुम्हें पसंद आया ये सब कुछ ? "
रेणुका ने मुस्कुराते हुए कहा , " हां ! भाई आज ये मंदिर बहुत अच्छा लग रहा है । "
रेणुका मुस्कुराते हुए , " भाई ! आज पहली बार मुझे राखी बांधने का अवसर मिला है । आप जल्दी से अपनी कलाई आगे कीजिए ? "
रेणुका के मुंह बोले भाई ने अपनी कलाई आगे बढ़ाई और रेणुका ने बड़े प्यार से अपने मुंह बोले भाई के कलाई पर राखी बांधी ?
रेणुका ने राखी बांधा और रेणुका के मुंह बोले भाई ने हमेशा उसकी रक्षा करने का वादा किया ।
रेणुका ने मुस्कुराते हुए कहा , " भाई ! आप मुझे कहां मिलेंगे ? जब मेरा मन करे तो मैं आपके घर अपने भाई से मिलने चली आया करूंगी । "
रेणुका के भाई ने मुस्कुराते हुए कहा , " तुम्हें जब भी मुझसे मिलने का मन करे , तब तुम सिर्फ मुझे याद कर लेना ? मैं तुमसे मिलने चली आऊंगा और अगर कभी किसी कारण वश ना आ सकूं तो तुम इस मंदिर में चली आना , में तुम्हें यहीं मिल जाऊंगा ? "
रेणुका को रेणुका का मुंह बोला भाई अपने गले का बेस कीमती सोने का हार दे देता है और उसे हमेशा अपने गले में पहनने के लिए कहता है ।
ये तेजस्वी इंसान कोई और नहीं उस मंदिर के भगवान देवों के देव महादेव रहते हैं , जो रेणुका को अपनी बहन मान बैठते हैं और उसे अपने कलाई में राखी बांधने का शुभ अवसर प्रदान करते हैं।
रेणुका ने मुस्कुराते हुए अपने मुंह बोले भाई के पैर छूते हुए कहा , " भाई ! आप मुझे आशीर्वाद दीजिए की मैं हमेशा आपको राखी बांध सकूं ? "
भगवान शिव ने रेणुका को पकड़ते हुए कहा , " बहनें कभी अपने भाई का पैर नहीं छुआ करती हैं । तुम अपने भाई का पैर छूकर उसे पाप का भागी बनाना चाहती हो ? और तुम परेशान मत हो ? तुम मेरी बहन हो और तुम मुझे हर वर्ष राखी बांधोगी ? "
रेणुका वहां से चली जाती है । तभी देवों के देव महादेव जाकर अपने स्थान पर बैठ जाते हैं और मूर्ति में समा जाते हैं ।
रेणुका अपने घर जाती है , तो उसे पड़ोसी के यहां गांव के जमींदार आए रहते हैं और वो लोग रेणुका से मिलने के लिए ही वहा पर खड़े रहते हैं ।
जमींदार का नाम मणि राम , जमींदार की पत्नी का नाम शीतल और उनके बेटे का नाम मानिक रहता है । जमींदार और उनकी पत्नी मानिक से बहुत ज्यादा प्यार करते हैं । उसी के जिद्द के आगे वो लोग मानिक की शादी रेणुका से करवाने के लिए मजबूर थे ।
रेणुका के आते ही जो लोग कुछ समय पहले उसका मजाक उड़ा रहे थे , वही लोग उससे बहुत प्यार से बात करते हैं । रेणुका को धीरे - धीरे सब समझ आने लगा था ।
रेणुका के पास जमींदार की पत्नी शीतला आती है और उससे अपने बेटे के दिल की बात बताती हैं और उसे मानिक से शादी करने के लिए कहती हैं ।
मानिक को देखकर रेणुका भी उससे शादी करने के लिए राजी हो जाती है । रेणुका को देखकर मानिक बहुत खुश होता है ।
मानिक ने हल्का सा मुस्कुराते हुए रेणुका से कहा , " रेणुका ! तुम्हारे घर में कौन - कौन रहता है ? "
रेणुका ने दुखी होते हुए कहा , " मैं यहां अकेले रहती हूं , लेकिन मेरा एक भाई भी है । "
मानिक ने रेणुका की तरफ देखते हुए कहा , " लेकिन यहां के लोगों ने कहा की कि तुम अकेले ही रहती हो ? "
रेणुका ने मानिक की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा , " मेरा मुंह बोला भाई मुझे आज शिव मंदिर में मिला और मैने अपने मुंह बोले भाई को राखी भी बांधी और देखो मेरे भाई ने मुझे अपने गले में से उतार कर ये हार मुझे भेंट के रूप में दिया है । मुझे अभी उनसे भी पूछना पड़ेगा की तुम उन्हें पसंद हो या नहीं मैं अपने भाई के खिलाफ जाकर ये शादी नहीं कर सकती हूं ? "
उसके अगले दिन रेणुका मंदिर में अपने मुंह बोले भाई के पास माणिक को लेकर जाती है । महादेव माणिक को देखते ही मुस्कुराने लगते हैं । महादेव रेणुका और माणिक के शादी के लिए राजी हो जाते हैं ।
कुछ ही महीनों में महादेव अपनी मुंह बोली बहन रेणुका कि शादी माणिक से करवा देते हैं और उसे हमेशा खुश रहने का आशीर्वाद देते हैं ।
इसी तरह देवों के देव महादेव अपने मुंह बोले भाई और राखी के अनोखे बंधन का कर्तव्य निभाते हैं ।
रेणुका भी हर वर्ष खुशी - खुशी मंदिर में जाकर पवित्र रक्षा सूत्र बांध आती थी ।