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*रंगमंच*

30 अक्टूबर 2021

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जीवन के इस रंगमंच में,
            प्रभु तेरे खेल निराले हैं।
कभी हंसाते कभी रुलाते 
                   कभी-कभी गम के प्याले हैं।
कभी धूप  है कभी छांव है,
                 कभि-कभि सांझ सरकारें हैं।
जीवन के इस रंगमंच में........
कभी मेघ सम आंखें बरसे,
                 कहीं खिल-खिल करते तारें हैं।
जीवन के इस रंगमंच में..............
             इस जीवन के पथ पर प्रभु ने
सारे रंग संवारे हैं।
    जीवन के इस रंगमंच में प्रभु तेरे खेल निराले हैं।

भारती

भारती

बहुत ही बढ़िया 👌🏻👌🏻

30 मार्च 2022

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

बहुत ही खूबसूरती से लिखा।

30 अक्टूबर 2021

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रचनाएँ
Nalini Singh की डायरी आरजू
0.0
मुझे आरजू बस तेरी है तू वफ़ा की मुरीद बन जा बस मेरे लिए मेरी वफाओं का हिसाब ना ले कहीं

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