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रेफर एण्ड अर्न

3 दिसम्बर 2021

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रेफर एण्ड अर्न
मनुष्य का एक स्वभाव होता है कि जो कुछ उसे पसंद होता है वह उसकी चर्चा किये बिना नहीं रह सकता । और जब वह किसी चीज की चर्चा करता है, तो उसकी वह चर्चा किसी और को फायदे दे जाती है । इसी चर्चा को रेफर करना कहते हैं । उदाहरण के लिए जहां आप रहते हैं वहां अगर कोई अनजान व्यक्ति आपसे किसी अच्छी मिठाई दुकान का नाम पूछे, तो आप झट अपनी पसंद की किसी-न-किसी मिठाई दुकान का नाम बता देते हैं । इसका मतलब आपने उस मिठाई दुकान को किसी को रेफर कर दिया । अब जब वह अनजान व्यक्ति उस मिठाई दुकान से मिठाई खरीदता है, तो दुकानदार कुछ-न-कुछ अर्न करता है अर्थात् कमाता है । इस तरह आपके रेफर से कोई अर्न करता है और इसी को कहा जाता है - रेफर एण्ड अर्न । यह समूची दुनिया में हर पल चलता रहता है । हम हर घड़ी किसी-न-किसी दुकान, शिक्षक, वकील, डाक्टर या सामान किसी-न-किसी को रेफर करते हैं और हमारे रेफर से कोई-न-कोई आमदनी करता रहता है । इस तरह हमारे रेफर से रोज लाखों रुपयों की आमदनी बनती है ।
लेकिन क्या इस रेफर एण्ड अर्न से हम खुद आमदनी नहीं ले सकते ? जरूर ले सकते हैं । लेकिन इसके लिए हमें अपने-आप में थोड़ा-बहुत बदलाव करना पड़ेगा । हमें ऐसे प्लेटफॉर्म का चुनाव करना होगा जो यह सुविधा देता हो । आधुनिक युग में ऐसे कई प्लेटफॉर्म्स मौजूद हैं जहां से हम रेफर करके कम या अधिक अर्न कर सकते हैं । सिर्फ हमें रेफर करने के तरीके सीखने होंगे । हम औरों के इनकम के लिए तो धड़ल्ले रेफर करते रहते हैं । लेकिन दुर्भाग्यवश जब हमें अपने लिए अर्न करने की बारी आती है, तो हम सीखने से बचने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाकर और मजबूरियां बताकर अर्न करने से खुद को वंचित कर लेते हैं ।
आज के युग में कई सेवा प्रदान करनेवाली एवं प्रॉडक्ट्स सेल करनेवाली कंपनियां हैं जो आपको मामूली रकम में ही अपना पार्टनर बना लेती हैं और आप उनकी सेवाओं अथवा प्रॉडक्ट्स को रेफर करके अर्न करते रह सकते हैं । लेकिन जब हमें मामूली रकम में ही यह सुविधा मिलने लगती है, तो हम ऐसी सुविधा देनेवाली कंपनियों को शंका की दृष्टि से देखकर इतनी जबर्दस्त मौके को गंवा बैठते हैं । कुछ लोग वह छोटी-सी रकम लगाकर पार्टनर बन तो जाते हैं, लेकिन उस सेवा या प्रॉडक्ट को रेफर करने से कतराने लगते हैं । कितनी अजीब बात है कि हम नित्य दूसरों की उन सेवाओं अथवा प्रॉडक्ट्स को धड़ाधड़ रेफर करते रहते हैं जिनसे हमें कोई इनकम नहीं होता । लेकिन जब अपने इनकम की बारी आती है, तो हम पिछड़ जाते हैं । और यही हमारी तकनीक का एक बड़ा कारण है ।
आईए एक कहानी के माध्यम से इसे समझते हैं - एक व्यक्ति चौराहे पर खड़ा होकर पांच-पांच सौ रुपयों के नोट बांट रहा था । आने-जानेवालों में से अधिकांश लोग बांटे जा रहे नोंटों को नकली या उस आदमी को पागल समझ रहे थे । दो विद्यार्थी उस रास्ते से जा रहे थे । उनमें से एक ने नकली ही समझकर दो नोट ले लिये । थोड़ी देर बाद उसने उस नोट से कुछ खरीदने की कोशिश की, तो नोट असली निकला । फिर क्या था ? दोनों साथी उस पागल-से आदमी को खोजने दौड़े ताकि उससे कुछ और नोट ले सके । लेकिन दुर्भाग्यवश वह वहां से जा चुका था । हमारी भी हालत कुछ ऐसी ही है । हम फ्री में रेफर करनेवाले को या तो पागल समझ बैठते हैं या उनके प्रॉडक्ट्स अथवा सेवाओं को नकली मान लेते हैं और खुद को होनेवाले फायदे से वंचित हो जाते हैं ।
जरा सोचकर देखिए कि अभी अगर दिनभर में आप सिर्फ दस चीजों या सेवाओं को रेफर करते होंगे और हर रेफर से अगर एक-एक रुपया ही अर्न हो, तो हमारा इनकम बिना कुछ किए ही दस रुपये हो जाएगा न । तो आईए अभी से प्रण करें कि ऐसा मौका जब भी हमारे हाथ आएगा, तो हम नहीं चूकेंगे ।

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