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आमदनी के स्रोत

2 दिसम्बर 2021

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आमदनी के स्रोत
हमारी जिन्दगी के एक-एक क्रियाकलाप से आमदनी निकलती है । लेकिन इस बात पर हम ध्यान नहीं देते और इसलिए यह आमदनी हमें हाथ नहीं लग पाती है । हमारी दिनचर्या सुबह से शुरू होती है और रात को सोने तक खत्म हो जाती है । फिर अगले दिन और उसके अगले दिन वही दिनचर्या चलती रहती है । इस तरह हम अपनी उम्र बिताते जाते हैं और एक दिन बूढ़े होकर दुनिया को अलविदा कह जाते हैं । हमारी दिनचर्या इस तरह की होती है - सुबह उठकर हम शौच जाते हैं । फिर हाथ-पांव धोते हैं । उसके बाद ब्रश करते हैं । फिर नाश्ता-चाय लेते हैं । कुछ लोग उठते-उठते बेड टी ले लेते हैं । फिर अपने काम में लग जाते हैं । कुछ देर के बाद स्नान करते हैं और भोजन करते हैं । फिर अपने काम में लग जाते हैं । दोपहर बाद फिर हल्का नाश्ता-चाय लेते हैं और काम समाप्त कर घर लौटते हैं । शाम को टीवी देखना, रात का खाना लेना और फिर सो जाना । कुछ और लोगों की दिनचर्या अलग-अलग काम के अनुसार अलग-अलग हो सकती है ।
अब गौर करनेवाली बात यह है कि हमारे एक-एक काम से आमदनी कैसे निकल सकती है ? तो सोचकर देखें कि जब हम शौच के बाद हाथ-पांव धोते हैं, तो हम कोई-न-कोई साबुन, हैण्डवाश अथवा शैम्पू का इस्तेमाल करते हैं । हम ब्रश, टूथपेस्ट और जीभिया का इस्तेमाल करते हैं । नाश्ता-चाय में भी कई चीजें उपयोग होती हैं । हम अपने कामों में भी कई तरह के सामानों का सहारा लेते हैं । स्नान करने में हम साबुन, शैम्पू और तौलिये का उपयोग करते हैं । हम अपनी पसंद के अनुसार पोशाकों का भी इस्तेमाल करते हैं । हम टीवी या मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं । इतना ही नहीं हम घर बनाने और खेती करने तक में भी कई तरह की चीजों का रोज उपयोग करते हैं । इसी तरह अन्य कामों में भी हम कई चीजों का इस्तेमाल करते हैं ।
हम जितनी चीजों का इस्तेमाल करते हैं वे किसी-न-किसी कंपनी या व्यक्ति द्वारा बनाई गई होती हैं । जब हम इनका इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो इन चीजों को हमें खरीदना पड़ता है और जब हम इन्हें खरीदते हैं, तो कि-न-किसी को आमदनी मिलती है । तो इस तरह साबित होता है कि हमारी जिन्दगी के एक-एक क्रियाकलाप से आमदनी निकलती है । लेकिन यह आमदनी हमें न मिलकर किसी और को चली जाती है ।
तो क्या ऐसा संभव नहीं कि हमारे एक-एक क्रियाकलाप से हमें भी आमदनी मिले ? बिल्कुल संभव है । कैसे ? अपने-आपको थोड़ा-सा परिवर्तित करके । किसी अच्छी नेटवर्किंग कंपनी के बिजनेस में शामिल होकर । लेकिन अच्छी नेटवर्किंग कंपनी का चुनाव कैसे किया जाए ? तो इसका जवाब यह है कि जिस नेटवर्किंग कंपनी के पास CAR क्वालिटी के प्रॉडक्ट्स हों वह सर्वोत्तम होती है । C का मतलब consumable (खपत करने योग्य), A का मतलब affordable (वहन करने योग्य) और R का मतलब repeatable (दोहराने योग्य) । इसका मतलब यह हुआ कि जिस कंपनी के प्रॉडक्ट्स हमारी जिन्दगी में खपत करने योग्य हों । जैसे - नमक, तेल, मसाले, सर्फ, साबुन, शैम्पू, कपड़े इत्यादि । जिस कंपनी की चीजों के दाम ऐसे हों कि लोग आसानी से खरीद सकें । इसका मतलब यह हुआ कि जिस कंपनी की सस्ते में अच्छी क्वालीटी की चीजें हों और जिस कंपनी की चीजों की बार-बार हमें जरूरत हों ।  जैसे - नमक, तेल, साबुन, मसाले हमें बार-बार खरीदने की जरूरत पड़ती है । तो जब हम किसी नेटवर्किंग कंपनी के बिजनेस में शामिल होते हैं और उनके प्रॉडक्ट्स इस्तेमाल करते हैं, तो हर खरीद पर हमें कुछ-न-कुछ आमदनी मिलती है । इसका मतलब यह हुआ कि हम अपने खर्चों में से भी आमदनी निकाल सकते हैं । इतना ही नहीं जब हमें ये प्रॉडक्ट्स अच्छे लगते हैं और हम किसी के पास इसकी चर्चा करते हैं, तो वे भी ये चीजें खरीदने लगते हैं । फिर वे भी इसी तरह चर्चा करते हैं, तो और लोग भी इसी तरह ये चीजें खरीदने लगते हैं । इस प्रकार खरीदनेवालों की एक टीम बनने लगती है और टीम के हर व्यक्ति को हर खरीद पर आमदनी मिलती रहती है । इतना ही सबको टीम बनाने का अधिकार होता है । जितनी बड़ी टीम उतनी अधिक आमदनी ।
इस तरह किसी नेटवर्किंग कंपनी के बिजनेस का हिस्सा बन जाने से हम उस कंपनी के पार्टनर हो जाते हैं और हम प्रॉडक्ट्स इस्तेमाल से तो आमदानी ले ही सकते हैं, साथ ही उन प्रॉडक्ट्स के बारे में गप्पें करके भी हम आमदनी ले सकते हैं । यह आमदनी करने का एक अनोखा और आसान तरीका है । नेटवर्किंग कंपनियों के प्रॉडक्ट्स दमदार और अच्छी क्वालीटी के होते हैं । इनका प्रचार टीवी या किसी संचार माध्यम से बड़े खिलाड़ियों अथवा फिल्मस्टारों द्वारा कराने में जो पैसे खर्च होते हैं उन पैसों को उन प्रॉडक्ट्स की चर्चा करके बिकवानेवाले लोगों के बीच ही बांट दिया जाता है ।
हमारी जिन्दगी में कभी ऐसा समय भी आ सकता है जब हमारी आमदनी कम हो जाए या बंद हो जाए । लेकिन हमारे खर्चे कभी बंद नहीं हो सकते । ऐसे में जब हमें हमारे हर खर्च से आमदनी मिलने लगे, तो कितना अच्छा हो ! 

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