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हार्ड वर्क और स्मार्ट वर्क

28 नवम्बर 2021

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हार्ड वर्क और स्मार्ट वर्क
दुनिया के सभी कामों को दो भागों में बांटा जा सकता है - हार्ड वर्क और स्मार्ट वर्क । हार्ड वर्क वह होता है जिसको करते रहने पर आमदनी मिलती है । काम बंद तो आमदानी बंद । हार्ड वर्क करनेवाले लोग काम बंद नहीं करना चाहते क्योंकि ऐसा करने से उनकी आमदानी बंद होने का खतरा होता है । फिर भी कभी-कभार उन्हें मजबूरी में अपने काम बंद करने होते हैं । कोई पारिवारिक काम या झंझट आ जाने पर अथवा बीमार हो जाने पर मजबूर होकर वे लोग अपना काम बंद करते हैं । हां, प्राकृतिक आपदा के समय भी उन्हें अपने काम बंद करने की मजबूरी होती है । जैसे कोरोना महामारी के समय हार्ड वर्क करनेवालों के काम बिल्कुल बंद हो गये थे । ऐसी घड़ियों में आमदनी बंद हो जाने के कारण उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है । एक महत्वपूर्ण बात यह कि हार्ड वर्क करनेवाले अपनी मर्जी के मालिक नहीं हो सकते । उन्हें अपने काम से बंधे रहना पड़ता है । साथ ही उन्हें सीमित घंटों में ही काम करना होता है । नौकरी, बिजनेस तथा खेती करनेवाले लोग हार्ड वर्क करनेवाले होते हैं । इस तरह दुनिया के 95% लोग हार्ड वर्क ही करते हैं ।
हार्ड वर्क करनेवाले लोगों के पास समय, पैसा और सुरक्षा में से किसी-न-किसी की कमी रहती है । जैसे नौकरी करनेवाले लोगों के पास न समय रहता है और न ही पैसा । कुछ ऊँचे पद पर कार्यरत लोगों के पास अगर पैसा रहता भी है, तो उन पैसों को खर्च करने के लिए उनके पास समय नहीं रहता । बिजनेसमैन के पास पैसे तो होते हैं, लेकिन समय नहीं होता । और बात रही खेती करनेवालों की, तो उनके पास न पैसा होता है और न समय ही । सुरक्षा तो इनमें से किसी के पास नहीं होती । सुरक्षा से मतलब यह होता है कि हम काम करें तो भी आमदनी, काम नहीं करें तो भी आमदनी, दुनिया में हों तो भी आमदनी और दुनिया से चले जाएं तो भी हमारे परिजनों को उतनी ही आमदनी । लेकिन नौकरीपेशा, बिजनेसमैन और किसान जैसे हार्ड वर्क करनेवालों को सुरक्षा नसीब नहीं होती ।
अब बात करें स्मार्ट वर्क की, तो स्मार्ट वर्क करनेवाले लोगों के पास समय, पैसे और सुरक्षा तीनों मौजूद होते हैं । ऐसे लोग काम करें तो भी आमदनी, काम न करें तो भी आमदनी, दुनिया में रहें तो भी आमदानी और दुनिया से चले जाएं तो भी उनके परिजनों को पहले से अधिक आमदनी मिलती रहती है ।
ऐसे लोग दुनिया में सिर्फ 5% ही हैं । लेकिन उनके पास दुनिया का 95% पैसे होते हैं जबकि हार्ड वर्क करनेवाले 95% लोगों के पास सिर्फ 5% पैसे रहते हैं । ऐसे लोग वे होते हैं जो नेटवर्क बनाकर अपने काम करते-करवाते हैं । इस श्रेणी में अंबानी, टाटा और बिल गेट्स जैसे अमीर लोग आते हैं । जैसे टाटा ने देश-विदेश में अपने लाखों शोरूम खोले हैं । अब अगर टाटा के एक लाख ही शोरूम मान लिया जाए और हर से अगर टाटा को सिर्फ एक हजार रुपए रोज की आमदनी आ रही हो, तो टाटा की एक दिन की आमदनी दस करोड़ रुपए हो जाती है । इन शोरूम्स में से अगर किसी कारण से पचास-सौ बंद भी हो जाएं, तो टाटा के ऊपर कोई असर नहीं होगा । अगर टाटा कुछ दिनों के लिए कहीं चला जाए, बीमार पड़ जाए अथवा दुनिया से चला भी जाए, तो क्या आमदनी बंद होगी ? बिल्कुल नहीं । यही है स्मार्ट वर्क । तो जो लोग इसी तरह टीम बनाकर अपने काम करते-करवाते हैं वही स्मार्ट वर्क करनेवाले होते हैं । वे लोग अपनी मर्जी की जिन्दगी जीते हैं ।

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